➡यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते ।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि ।।
चाणक्यनीति १/१३
✅‘‘जो मनुष्य निश्चित को छोड़कर अनिश्चित के पीछे दौड़ता है, उसका निश्चित कार्य भी नष्ट हो जाता है और अनिश्चित तो नष्ट हैं ही ।‘‘- JAY SHRI KRISHNA
16 AUG 2019 AT 4:35