21 JUN 2018 AT 19:19

"गुलाब"

चले थे हम उस एक फूल की तलाश में,
सराबोर था भींगकर जो रंग गुलाल में,
थे हम उस रास्ते में हसीन से;
जख्म मिले कई जिसमें संभलकर चलने की फिराक़ में,
मोह के घोर अंधेपन में;
चूक हुई बरतने को एहतियात में,
खूबसूरत तो था बहुत;
पर छिपा रखे थे कांटे कई;
कम्बक्त खूबसूरती के नक़ाब में।

- Sketch-Er