और सुनो तुम्हें इक बात बताऊं , उनकी और मेरी कहानी के हर अहम मोड़ पर बारिश हुआ करती थी । आज की बारिश के साथ हमारा सफर ही खत्म हो गया। आज बादल भी गरजे, बिजली भी कड़की , आंधी भी आई और आखीर में जम के बरसात भी हुई ।
मेरे अश्कों की धारों पर, उसके मोज की कश्ती है । मेरा जीवन उजड़ा बंजर, उसकी मदमस्त कोई बस्ती है ।। मेरी सांसें रोती बिलखती, उसकी मुस्कानें हसती है । उसका तो साया भी मंहगा, मेरी.. पूरी जिंदगानी सस्ती है ।।
तुम्हें छूने की तलब लगी है एहसासों का ज़रा बोझ बढ़ने लगा है दिल पर । तुम्हारी बातें जैसे कानों में दिनभर गूंज रही हो इस तरह मन तुम्हें याद करने लगा है दिलबर ।।
तुमने भी इश्क किया था मगर , तुमसे कुछ ज्यादा किया था हमने । शतरंज-ए-ज़िदंगी के बादशाह-ए-वज़ीर तुम थे, खुद को तुम्हारा प्यादा किया था हमने । दुनिया भर के झमेले नहीं थे, प्रेम सच्चा और सादा किया था हमने । तुम्हारे बाद भी तुम्हारे रहे, क्यों ? अरे ... खुद से वादा किया था हमने ।।
तुम्हारी कमी में जो वक्त गुजर रहा है , मत पूछो कैसे कैसे हालातों से दिल गुजर रहा है , तुम्हारी वो आखरी बेरूखी की बातें ज़हन में चल रही है , उन्हीं बातों में रात ढल रही है, उन्ही बातों में दिन गुजर रहा है ।।