21 FEB 2018 AT 20:48

कोशिशें हमने इतनी की तुम्हें पाने की
कि मुकद्दर भी हंसता है मेरी नाकामयाबी पर।।

- ©️Shubhरा *शुभ्रा* की कलम से ✍️