21 JUN 2018 AT 23:54

जज़्बात वो दरिया है, जिसकी आब की बून्दें महज़ चुनिंदा रिश्तों को हरा-भरा नहीं करतीं।
कुछ रिश्ते चश्म से यूँही नहीं दिख पाते, पर उनका वजूद होता है।
यही कुछ बून्दें ऐसे ही कहीं भी टपका दीजिए, अपने इर्द-गिर्द।

शायद, कुछ अनदेखे सूखे पड़े रिश्ते फिर से खिल उठेंगे।

- आवारा