Shubham Saini  
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Joined 19 March 2020


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Joined 19 March 2020
18 JUL 2023 AT 12:42

कोई कहां कहां से मिटाएगा तुम्हें,

तुम बिखरे हो देह के हर कोने तक....

तुम्हारी आहटें सुनाई देती हैं,

सुबह के जगने से रात के सोने तक....

सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र हुआ है,

पहली मुलाकात से आखिरी बार रोने तक....

हर रोज अपनी पंक्तियों में लिखा है,

तुम मेरे ही हो से तुम्हें खोने तक....

बंदिशे बहुत है, अब तुम जाओ,

मैं इंतजार ही करूंगा तुम्हारा,

इस जन्म में मेरा होने तक।

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28 JUN 2023 AT 6:15

शाम का वक्त डल का किनारा मैं और तुम।

चाय की प्याली एक शिकारा मैं और तुम।

लैला मजनू हीर रांझा इनसे पहले,

इश्क के पन्नो का है हवाला मैं और तुम।

एक ही है हम दो से दोनो एक बने।

एक ही ख़्वाब को हमने संवारा मैं और तुम।

हमसे पूछो हमसे उनका रिश्ता दोस्त।

एक दूजे का है सहारा मैं और तुम।

निषाद की वादी कश्मीर का मंजर प्यार क्या है?

ओंस की बूंदों ने है पुकारा मैं और तुम।

ये बहता चहलन सर्द हवाएं पूछती है,

फिर कब मिलेंगे बोलो दोबारा मैं और तुम?

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8 JUN 2023 AT 16:35

मरती हुई जमीं को बचाना पड़ा मुझे।
बादल की तरह दस्त में आना पड़ा मुझे।

वो कर नही रहा था मेरी बातों का यकीन,
फिर यूं हुआ मर के दिखाना पड़ा मुझे।

उस एक अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते,
महफिल में सबसे हाथ मिलाना पड़ा मुझे।

भूले से मेरी सम्त देखता न था कोई,
चेहरे पर एक ज़ख्म लगाना पड़ा मुझे।

उस बेवफा की याद दिलाता था वो बार - बार,
कल आईने पर हाथ उठाना पड़ा मुझे।

ऐसे बिछड़े के उसने मर जाना था 'शुभम',
उसकी निगाह में खुद को गिराना पड़े मुझे।

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9 NOV 2022 AT 23:34

बिखरी हुई चीजें इसलिए खूबसूरत नही,
क्योंकि वो बिखरी हुई हैं.....

बल्कि वो इसलिए खूबसूरत है,
क्योंकि वो ज्यादा मात्रा में हैं।

जैसे फूल, जैसे आकाश, जैसे नदियां
वो हर चीज जो ज्यादा मात्रा में है।

जैसे इंसान के सपने, इंसान की उम्मीद,
सब कुछ सकारात्मक और खूबसूरत है।

एक अंदर - बाहर से बिखरा हुआ इंसान भी,
और उसके बाद निखरता हुआ इंसान भी।

जानते हो आप ऐसा क्यों है...?
क्योंकि हर चीज ईश्वर ने बनाई है।

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1 OCT 2022 AT 12:38

विपरीत होती क्रियाएं,

किसी न किसी की

पक्षधर जरूरी होती हैं।

कोई न कोई...

परंतु तनिक ही सही

लाभान्वित होते हैं।

एक वृक्ष दुखी है,

पतझड़ से...

लेकिन जो बसंत प्रिय है,

उन्हें पत्तियों का टूटना सुखदाई लगता है।

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15 JUL 2022 AT 18:22

नदी के पास घर है मेरा, गमों का पाला है।

खबर मिली है कि सैलाब आने वाला है।

कोई भी बला मेरे पास, आ नही सकती है,

क्योंकि मां ने मुझे बहुत, बलाओं से पाला है।

मैं बच गया तो हैरत की कोई बात नही।

ये हादसा भी जल्द एक दिन होने वाला है।

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12 JUL 2022 AT 15:04

मैं मोहब्बत में लोगों से, अनायें छोड़ देता हूं।
वफाएं याद रखता हूं, जफाएं छोड़ देता हूं।

खुले रखता हूं मैं दिल के रास्ते नाराज लोगों से,
मैं वापस आने वालों की, खताएं छोड़ देता हूं।

मैं सबसे मिलता हूं और अदब से बात करता हूं,
ये शोहरत और बुलंदी की, हवाएं छोड़ देता हूं।

तकब्बुर शोर करता है करो तजलील लोगों की,
मैं अपनी नफ्ज़ की सारी, सदाएं छोड़ देता हूं।

कोई दिल को दुःखाए, मुस्कुरा के बात करता हूं,
ऊपर वाले को याद रहता हूं, खताएं छोड़ देता हूं।

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13 JUN 2022 AT 19:21

मैं तेरे बाद कोई तेरे जैसा ढूंढता हूँ,
जो बेवफाई करे लेकिन बेवफा न लगे।
हजार इश्क करो लेकिन इतना याद रहे,
तुमको पहली मुहब्बत की बद्दुआ न लगे।

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13 JUN 2022 AT 17:08

अब तक निभाई मैंने,

जिनसे भी रिश्तेदारी।

निकले वही कन्हैया,

सुख - चैन के शिकारी।

किस पर करे भरोसा,

देते है सब दगा रे।

ले लो शरण कन्हैया,

दुनिया से हम है हारे।

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13 JUN 2022 AT 16:27

तू चाहता है किसी को पता न लगे,
मैं तेरे साथ फिरूं और हवा न लगे।

तुम्हारे तख्त पर बहुत दिल दुखा के पहुंचा हूं,
दुआ करो कि मुझे कोई बद्दुआ न लगे।

मैं तेरे बाद कोई तेरे जैसा ढूंढता हूं,
जो बेवफाई करे लेकिन बेवफा न लगे।

तुझे तो चाहिए है और ऐसा चाहिए है,
जो तुझसे इश्क करे और मुक्तला न लगे।

हजार इश्क करो लेकिन इतना याद रहे,
कि तुमको पहली मुहब्बत की बद्दुआ न लगे।

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