13 JAN 2018 AT 17:18

यूँ तो प्यार है मुद्दा आम बड़ा,
दिल की गलियों और कचहरी में...
लड़ते है मुकदमा ना जाने कितने,
तुझे रखके दिल की तिज़ोरी में...
कुछ ऐसे भी फरियादी है,
जो जाते है मंदिर और मज़ारों में..
मुश्किल तो बहुत होता होगा,
जब चुनना हो कोई एक हज़ारों में...

कोशिश तो हम भी बहुत करते है,
तुमको तुमसे चुराने की...
बस... उस इलज़ाम की कमी है...
प्यार की क्लासरूम में,
इम्तेहान की कमी है...

मैंने आशिक़ बहुत से देखे है,
महफ़िल में मैख़ाने में...
पीते है अब गम की मदिरा वो,
अक्सर इश्क़ के पैमाने में...
देख कर ये मंज़र,
तुझे इज़हार करने से डरता हूँ...
लाख समझाया खुदको फिर भी,
तेरा जाम इन नज़रों से पिया करता हूँ...

अब इस गर्मी की कड़कती धुप में,
बस... बरसात की कमी है...
अब प्यार की क्लासरूम में,
बस... इम्तेहान की कमी है...

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