13 JAN 2018 AT 17:15

प्यार की क्लासरूम में,
इम्तेहान की कमी है...
इन हाथो में जब होगा हाथ किसी का,
बस... उस शाम की कमी है...
यु तो हर रोज़ दिल लगाते है हम,
न जाने किस किस अजनबी से...
पर किसी रोज़ कोई हमसे भी दिल लगाये,
बस... उस इंसान की कमी है...

जो मेरे... हर गहरे राज़ की,
हमराज़ बन सके...
जो मेरे... हर अनकहे जज़्बात की,
आवाज़ बन सके...
जिसके ज़िस्म पे फिसलने से पहले,
मेरी उँगलियाँ उसकी ज़ुल्फो में उलझ जाए...
जब उसकी नज़रें मुझपे टिके,
तो धड़कने तो रफ़्तार पकडे...
मगर... साँसे थम सी जाए...

अब लबों पे उस एहसास के,
नाम की कमी है...
प्यार की क्लासरूम में,
इम्तेहान की कमी है...

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