Shruti Panchgaur   (Shruti Rusty)
37 Followers · 9 Following

पूर्ण रूप से बनारसी होना काफी हैं.....
Joined 2 October 2017


पूर्ण रूप से बनारसी होना काफी हैं.....
Joined 2 October 2017
30 APR 2023 AT 23:36

तुमने एक कवियित्री के मन को छू लिया है सच कहती हूँ ताउम्र तुम उसकी हर लेखनी में अपनी झलक पाते रहोगे..🌞

-


30 APR 2023 AT 22:28

आपके बोलने की स्वत्रंता सिर्फ उतनी ही होनी चाहिए जितने हमारे सुनने की क्षमता...

-


5 APR 2023 AT 22:18

मैं उसका वो जोड़ रही जो मैंने तोडा भी नहीं है
वो मुझमें वो तोड़ रहा है जो उसने कभी जोड़ा ही नहीं!

-


30 MAR 2023 AT 12:47

जानते हो?
तुम्हारे जाने के बाद मैंने
हर वो दिन हर वो तारीख
याद रखी जो हमदोनो के
लिए खास थी...
हर वो समय याद रखा
जब हमदोनो एक साथ थे
हर वो ठिकाना याद रखा
जहाँ तुम बैठकर मुझसे हक
जताया करते थे...
तुम्हारे होने पर ये दिन ये समय ये ठिकाना
ये सारी यादें तुम्हारे साथ एक उत्सव की तरह मनाना चाहती थी
किंतु अब तुम नहीं हो
लेकिन तुम्हारी चाह भी नहीं है
मैं अब भी इन्हें याद करती हूँ
हर तारीख को
हर दिन को
हर उस जगह को
किंतु वो सिर्फ मेरा प्रेम बनकर मेरा भाव जो तुम्हारे लिए था
यही बनकर मुझे याद आता है....
मुझे तुम नहीं याद आते
फराज़ मुझे मेरा प्रेम याद आता है....
मुझे मेरा भाव याद आता है
मुझे मेरा समर्पण याद आता है
मुझे इन चीजों के रहते त्याग कैसे हो गया
ये याद आता है...
सच कह रही मुझे तुम नहीं याद आते हो.....
मुझे अपनी आशिकी का वो जमाना याद आता है....

-


26 MAR 2023 AT 13:29

उसदिन मैंने सिर्फ प्रेमी विदा किया था प्रेम नहीं.... और वो प्रेम किसी का भी हो सकता है जैसे कभी तुम्हारा था.... भावनाओं की कड़ी ही तो थी जिसमें तुम प्रेम और मैं प्रेमिका थी...फिर मेरी भावना हमेशा एक रही तुम विदा हो गए उससे अब कोई और विदा होने को आया है!

-


1 FEB 2023 AT 22:48

मेरे शब्द आकर ज़ुबाँ पर ठहर जाते है..
वो इतना सच है कि उसे कहने से
पहले हम अपनी ही नज़रों में गिर जाते है...
रोज दिल को समझाते है
मन को मानते है...
उसे बात करके ख़ुद को बेचैन कर जाते है..
ख़ुद को बताते है..
उसकी नज़रों से बचाते है..
सांसों में हरदम घुटन पाते है...
चाहते है रोना...
दिल खोलकर चिल्लाना...
अपने सारे आँसु उसके बाहों में गिराना....
फिर दिल को कह देते है
चल आज कह देते है...
ज़ुबाँ को समझाते है
फिर लब तक लाकर हम फिर मुकर जाते है...
कैसे कहे ? क्या कहे?
इन सब में हम फँस जाते है...
सालों से जो घुटन है..
उसमें ही वापस रह जाते है.....
हम बिना कुछ कहे ही
अपने नज़रों में हर पल गिर जाते है...
इस कश्मकश से आज़ाद होना चाहते है
बस मौत को इसलिए हर रोज पुकारते है...

-


12 NOV 2022 AT 23:18

तुम्हारे अलावा अब ये देह दुल्हन बन जायेगी
किन्तु मेरी रूह हमेशा अब तुम्हारी अर्धांगिनी हो गयी है....

-


25 OCT 2022 AT 20:06

और फराज़! एक उम्र बितानी थी मुझे उसके साथ ,जो एक पल को मेरा हो ना सका!

-


9 OCT 2022 AT 10:33

वो शख्स रोज तुम्हारे इंतज़ार में है रोज तुम्हारे कॉल का इंतज़ार करता है अपने एक मेसेज भेजने पर तुमसे उम्मीद करता है अपने प्यार को तुम्हारे स्वीकार करने का इंतज़ार में है तुम्हारे आँखों में अपना चेहरा ढूँढ रहा है तुम्हारे अंदर अपने लिए वो बेचैनी वो प्रेम खोज रहा है दिन हर दिन हर रात तुमसे अपने लिए परवाह खोज रहा है तुम्हें अपने वजह से खुश होना देखना चाहता है हर रोज सुबह वो उम्मीदों से जग रहा है और हर रात एक नये सुबह की उम्मीद लेकर सो रहा है ठीक उसी तरह जिस तरह से तुम उस शख़्स के लिए खुद को बैठा रखे हो जो तुम्हारा था ही नहीं... तुम रोज वो दर्द झेल रहे तुम हर रोज वो चोट खा रहे किसी दूसरे से जो तुम्हारा था ही नहीं पर..... देखो न तुम वहीं दर्द और चोट दे भी रहे हो उसको वो जो तुम्हारा है... तो ठीक है न तुम्हारा भूतकाल अगर गलत निकला तो तुमने वर्तमान के साथ भी वही किया है गलत तुम भी हो.... हमसब गलत है किसी न किसी के नजरों से किसी के नजरों में..... इसलिए बस याद रखना....मोगरे से इसलिए नफ़रत मत करो कि वह गुलाब नहीं है.....और वो जो बीत गया....जो सामने है उसे बीतने न दो.. वो तुम्हारा है अभी.... सिर्फ तुम्हारा

-


7 OCT 2022 AT 22:58

मेरे न हो सके तो एक मेरे किसी अपने पर रहम कर दो
मेरे जैसा ही है वो तुम उसके होकर उसके जीवन भर दो
कि मैंने देखा है तुम्हें हर दिन हाथों से जाते अपने
तुम उस शख़्स के साथ दुबारा न वो कर्म कर दो
मैं तो सह गयी क्योंकि तुम प्रेम थे मेरे
वो सह न पायगी क्योंकि हाथ थामे है उसने तेरे
कोई समाज कोई ईश्वर हमारा गवाह नहीं है
मैं और तु भी अब इस रिश्ते में परवाह हो गए है
ये जो प्रेम था ये एक प्रेम था
तुम संबंधों में खुद को बांधने जा रहे...
यकीन करो तुम हर एक पल को बांटने जा रहे हो....
मांग उसकी भर कर तुम मुझसे डोर काटने जा रहे हो..
मैं तब भी एक फर्ज़ निभा रही हूँ
तुम्हें जीवन में घुटने से बचा रही हूँ
तुम रहो जहाँ जीवन में आबाद रहो
मैं खुश हूँ क्योंकि मैं
आज भी अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभा रही हूँ...
काट कर हर एक हिस्से को तुम्हें जीवन में आगे बढ़ा रही हूँ...
इसलिए ये रिश्ते को ख़त्म कर दो
बात अभी से यही से बन्द कर दो...
तुम जिसके हो अब उसके होने का हक उसको कर दो..

-


Fetching Shruti Panchgaur Quotes