Shristi Mishra  
645 Followers · 1.5k Following

Joined 27 March 2020


Joined 27 March 2020
29 MAR 2023 AT 13:01

पहरा मुस्कुराहट का, बनाता है मुस्कान,
पहरा अश्रुओ का, बनाता है इंसान,
पहरा प्रेम का, बनाता है भगवान,
और अगर है पहरा दर्द का,बना देता है पाषान,
अगर गुजरी है जिंदगी,
रह कर इन पहरों मे,
बाद इसके भी जिंदाजिंदगी,
तो बेशक जज्बा है तेरी रग रग मे।
🙂🙂✍️✍️

-


26 MAR 2023 AT 14:17

जाओ वक्श दिया नही रखते उम्मीद तुमसे,
आजाद रहो हमारी जिम्मेदारी से और हमसे,
इक अनजानी सी और बारीक सी डोर है मेरे तुम्हारे बीच मे,
छूट न जाए ये, तेरी मेरी चंद जरूरतों से.
19.02.23

-


24 MAR 2023 AT 16:18

विथा-विथा से मेरी तुम्हारी जान पहचान हुई,
फिर गुजरी जिंदगी भी सरेआम हुई,
ओर फिर बातों में बातें, यादों मे यादें और अफसानों में फसाने बनते चले गए,
फिर उस शोर भरी सुबह की, इक सन्नाटे सी शाम हुई.

-


11 OCT 2022 AT 12:20

जख्म में जब दर्द इत्र बन कर घुला,
इक हल्का सा अहसास मुस्कराता हुआ मिला,
गुमशुदा राह में इक गुमशुदा राही की तरह,
सफर में सफर और पुख्तगी का नजराना भी मिला।
आसान न था कई राहों में एक राह को चुनना,
मगर कई राहों के बीच मोड़ो का अलग अलग किरदार मिला।
अतीत के आसुओं से भी कड़वा इकरार मिला,
आज और कल को फिर दोहराता हुआ एक साज मिला।
जख्म में जब दर्द इत्र बन कर घुला,
इक हल्का सा अहसास मुस्कराता हुआ मिला..............

-


17 APR 2022 AT 12:34

पहले ठुकराया, फिर अपनाया,
फिर अपने स्वार्थ का, क्रूर छल भी दिखाया,
अब कटारी गुलिस्तां लिए, खड़े हैं हमारी ताक में,
ऐतवार ए बेफफाई का ढंग, खूब शिद्दत से सिखाया।
पहले ठुकराया....................…...................

गुजरे हुए वक्त का, उसने एक वाकया सुनाया,
हमको चोटिल करने का, इक नया रास्ता बनाया,
हमारी पुरानी यादों को, मेरे दिल में खोजने की कोशिश भी की,
जब हाथ कुछ न लगा, तो हम पर इल्जामात सजाया।
पहले ठुकराया.............………......................

इक छोटी सी मुलाकात में, हमको इतना बदला हुआ पाया,
कि जब सब कुछ समझ से परे हुआ, तो मशरूफियत को दोष ठहराया,
इतना सब कहने सुनने के बाद भी, उसको ये समझ न आया,
कि हमको इतना पत्थरदिल, उसी के धोखे ने बनाया।
पहले ठुकराया.............................................




-


11 FEB 2022 AT 14:36

Duniya bhar ki bhatkan me, main khud ko shad rkhti hu.
Kabhi isko- kabhi usko,main apne sath rkhti hu.
Teri yadon ke badal jo, ghire rhte mere dil par.
Kabhi main inki Barshaton me, khud ko nashad krti hu.

— % &

-


28 DEC 2021 AT 19:29

1.इक चंचल चिड़िया को मैंने, अपनी चंचलता खोते देखा है,
जो बिन बातों के हसतीं थी,
उसको बेहिंतहा रोते देखा है,
क्यूं करता है तू खुदा,
ये जुल्म ऐसे मासूमों पर,
इक फूल को मुरझाते मैने,
बड़ा करीब से देखा है,
इक चंचल...........................
2. सादगी बहुत जरूरी है,
जीवन के लिए जानती हूं ये,
मगर बड़ी सादगी से मैंने,
इक पत्थर को बनते देखा है,
क्या जरूरी है ए खुदा,
इतनी खामोशी दिल पर,
ओठों पर मैने सन्नाटे के,
मेले को बनते देखा है।
इक चिड़िया को....................
3. खंजरों से मैने उसको खुद,
दिल को छलनी करते देखा है,
फिर खुद के ही जख्मों पर,
खुद नमक रगड़ते देखा है,
आसान नहीं होता है यूं,
खामोशी से जीवन बसर,
बस खुद की मैय्यत को मैने,
खुद के कांधे पर देखा है।
इक चंचल चिड़िया को मैंने, अपनी चंचलता खोते देखा है।
Srishti 🙂

-


28 DEC 2021 AT 19:19

गुमनाम शख्स

न जाने मैं कौन से रास्ते चले जा रही हूं,
मैं खुद में खुद को खोते जा रही हूं,
इससे मिली- उससे मिली, मगर फिर भी अकेली,
इस तरह से दिन व दिन गुजारे जा रहीं हूं।
न........................
न जाने कितनी उलझनों में उलझती जा रहीं हूं,
मैं झूठे रिश्तों की भंवर में फसती जा रहीं हूं,
मैं तेरे इस स्वार्थ को, निस्वार्थ पूरा करतीं,
इस तरह से इक स्त्री होने का, कर्ज उतारे जा रहीं हूं।
न जाने..........….......
कहने को इन्सान हूं, पर खिलौने से कम नहीं,
हसती-रोती भी हूं, पर ताले-चाबी से कम नहीं,
अब ए बता इन्सान, क्या मेरे पास दिल नहीं,
मैं भी तो इन्सान हूं, क्यूं मेरे पास ये हक नहीं,
इस स्वार्थी दुनियां में, झूठी मुस्कराहट के साथ जिए जा रहीं हूं।
न जाने...................

-


10 SEP 2021 AT 16:19

भरी एक आह थी दिल में आज मेरे,
अश्कों ने भी सुकून न दे पाया,
तब इस कलम ने सुकून दिया दिल को मेरे,
तबसे मैं एक शायरबाज कहलाया।

-


10 SEP 2021 AT 16:07

अश्कों के बहते रहने से भी क्या फायदा,
यादों का आना तो कम नहीं हुआ,
फासलों के बढ़ने से भी क्या फायदा,
नजदीकियों का तराना तो कम नहीं हुआ।
लफ्जों की जरूरत नही है हमे,
तुम्हारा हाल जानने के लिए,
तुम्हारी नजरें ही काफी है,
तुम्हारा हाल बताने के लिए।
मंजर कठिन है मगर क्या करे,
जाहिर कभी कोई गम नही हुआ,
तुम और मैं को हम हो जाना ,
खुदा को मंजूर नहीं हुआ।

-


Fetching Shristi Mishra Quotes