पाने की, चाहने की,न थीं वो दबाने की ।पर दब गयीं,चूर होकर,कुछ ज़िंदा,कुछ थकी हुई मुर्दा,पर तुम चिंता मत करो,शोक मत करो,महफूज़ हैं ये ख्वाहिशें हम में ।दिल हमारा शमशान से कम नहीं । - रहनुमा
पाने की, चाहने की,न थीं वो दबाने की ।पर दब गयीं,चूर होकर,कुछ ज़िंदा,कुछ थकी हुई मुर्दा,पर तुम चिंता मत करो,शोक मत करो,महफूज़ हैं ये ख्वाहिशें हम में ।दिल हमारा शमशान से कम नहीं ।
- रहनुमा