एक समर एैसा भी,
कौन सी रंजिश चल रही मॉ के खिलाफ क्या समझती वो,महज 5साल की उमर मे क्या उम्मीद लगा सकता है कोई...
मै तो किरायदार था उसके घर पे,शाम की चायं पीने उसके पिता संग बैठा था...
तब पहली बार उसे देखा था हाथ मे बिसकुट पकडे अपने पिता की गोद मे बैठी थी और कहानी सुन रही थीे, बेशक कुछ समज नही आ रहा था उसे,
वो कोई साधारण कहानी नही उसकी माँ का भविषय सुनाया जा रहा था,
नेता जी बहुत चतुर थे सब कहते थे और अब मै भी कहने लगुंगा इसका तब इलम ना था मुझे, उस एक समर से पहले।
तो बात एक कबूतऱ की हो रही थी,
जिसे चील बैठे सुन रहे थे,
कैसे भेड़ियों को कबूतर ने मरवाया और अपने यार की मौत से सत्ता पे कब्जा पाया...
मैनें एक गलती कर दी,
किरदार की जगह किराऐदार लिख गया,
जी हां मैने चील का किरदार बखूभी निभाया...
- shrivardhan