Shobha Mishra   (शोभा पीयूष)
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कुछ आँखों में बसे ख्वाब,
कुछ दिल में छुपे ज़ज़्बात,
ज़िन्दगी बस इतनी सी।।
Joined 20 March 2018


कुछ आँखों में बसे ख्वाब,
कुछ दिल में छुपे ज़ज़्बात,
ज़िन्दगी बस इतनी सी।।
Joined 20 March 2018
19 MAY 2022 AT 9:22

बुरा मत मानना अगर मैं...

एक सवाल पूछूं ?

एक अंधेरी रात की सज़ा...

चाँदनी रात को क्यों?

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8 MAY 2022 AT 23:52

थोड़ा प्यार से बतिया लिया ,
थोड़ा डांटकर समझा दिया,
इस तरह से मैंने भी यह,
माँ का दिन मना लिया।

थोड़ी यहाँ - वहाँ की बाते की,
कुछ पुरानी यादें ताजा की,
कुछ सुना और कुछ सुना दिया,
इस तरह से मैंने भी यह
माँ का दिन मना लिया।

हर दिन की तरह उस पर आज भी,
अपना हक जता दिया,
इस तरह से मैंने भी यह
माँ का दिन मना लिया।

Facebook और instragram से,
अनजान मेरी माँ को मैंने,
आज उसके दिन के होने का,
एहसास करा दिया।।
और सबकी तरह मैंने भी यह
माँ का दिन मना लिया।

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6 APR 2022 AT 6:42

रात खेलती है दिल से ,

कभी चांद के साथ अमावस्या बन...

मुझ सा होने का एहसास करवाती है ।।

तो कभी पूर्णिमा सी पूरे रूप में...

मेरे अधूरेपन के लिए मुझे जलाती है।।

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29 MAR 2022 AT 20:35

कैसे जीते हैं...
अधूरेपन को खुलकर...
आओ,
चलो सीखें...
उस चांद से...।

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26 JAN 2022 AT 12:53

साफ सुथरी सफेद ड्रेस पहने और
हाथों में लहराता झंडा लिए जा रही थी मैं,
देश के लिए जज़्बा था दिल में और
बहुत इतरा रही थी मैं।
ऐ मेरे वतन के लोगों...कर चले हम फिदा,
सुन यहाँ- वहाँ बढ़ रही थी और उमंग,
मेरा देश मेरे साथ था और मैं थी देश के संग।
पहुंची जब स्कूल तो माहौल और भी ख़ुशनुमा था।
यहाँ - वहाँ बच्चों का जत्था लगा था।
शुरू हुआ नाच, गाना, भाषण और परेड,
संस्कृतिक कार्यक्रम थे एक से बढ़कर एक।
बातों - बातों में चला पता,
आज मिलेगा लड्डू, जलेबी और समोसा।
पर यह क्या,
ठोंगा हाथ में,आया ही था कि नींद खुल गई।
अफसोस रह गया,
हाय !
ये जवानी बचपन को क्यों निगल गई।।

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12 DEC 2021 AT 8:25

शोर करता है मन,

जब बयां नहीं कर पाता दिल,

मचलते हुए जज़्बातों को।।

शोर करता है मन,

जब अकेला पड़ जाता है दिल,

कई बार तन्हा रातों को।।

शोर करता है मन हर बार ...

हो बेकरार...लगातार...।।

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12 DEC 2021 AT 8:14

दुआ एक हमसफर है,

जिनकी भी कर लो या मांग लो ,

मिलती वहीं है और

उतनी ही है जितनी मुक्कदर में है ।।

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30 OCT 2021 AT 10:42

हर बार खुद से...

यूँ ही कुछ और जुड़ता है दिल ...

जब - जब बहते अश्कों को पोंछ कर...

आगे बढ़ता है दिल ...!!!

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15 OCT 2021 AT 8:52

हर बार रावण को जलाया है मैंने,
फिर हर बार उसे जगाया भी है।।
और फिर हर बार राम का आह्वान कर,
उसे सद्गति का रास्ता दिखाया भी है ।।
ये राम और रावण का अंतर्द्वंद,
जाने क्यों हर बार ताजा हो जाता है ।।
अंधकार की जीत के नाम पर
जब - जब दशहरा मनाया जाता है। ।

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13 OCT 2021 AT 20:28

देख जिंदगी,
मैंने खुद को माफ़ करना सीख लिया,
हाँ, मैंने खुद से इंसाफ करना सीख लिया।।
बहुत सताया खुद को,
बहुत तड़पाया खुद को।।
अब आंखे बंद कर हिसाब करना सीख लिया,
मैंने खुद को माफ़ करना सीख लिया।।
हर बात पर पहले खुद से ग्लानि होती थी,
दुसरों के बर्ताव से खुद की हानि होती थी।।
देख मुझे, मैंने बेमानी होना सीख लिया,
मैंने खुद की मनमानी करना सीख लिया।।
थोड़ी सी दया, थोड़ी सी माफ़ी खुद को,
संभलने - संभालने के लिए थोड़ी सी शाबाशी खुद को।।
हाँ, मैंने ज़ज्बात परखना सीख लिया,
मैंने खुद को माफ़ करना सीख लिया।।
अब आईने में अपना अक्स भी सच्चा लगता है ,
खुद से खुद को मिलकर अब अच्छा लगता है।।

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