21 JUN 2018 AT 21:05

उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो,
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो।
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है,
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।

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