उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो,जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो।इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है,इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो। - 🍁🍁🍁
उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो,जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो।इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है,इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।
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