यूँ जब शाम ढल जाएगी,
आसमां में बिखरी होगी चांदनी,
घर के आंगन में हम दोनों,
यूँ बैठे होंगे, एक दूसरे के आगोश में
बस एकटक आसमां को निहारते,
चाँद की चांदनी को अपने दिल मे उतरते,
शांत से हम दोनों, न कोई हलचल,
पर, बिन कुछ बोले, बहुत कुछ कह जाएंगे वो पल।
- think.eth