Shivam Singh   (Shivam singh(yugantak))
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Joined 24 March 2018


Joined 24 March 2018
23 APR 2020 AT 20:14

कुछ ख़्वाब जो अधूरे हैं अभी
कुछ थे,जो पूरे हैं अभी
अभी अधूरों पर है काम चल रहा
और पूरों से है अब मन भर रहा...🙁🙁

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6 APR 2020 AT 12:45

मैंने वो किया जो तुम चाहते थे,तुमने वो किया जो मै चाहता था,हमने वो किया जो हम चाहते थे,मगर शायद हम हमीं को न चाहते थे...

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16 DEC 2019 AT 14:49

क्या मैं लिखूं या नहीं लिखूं यह कलम बेचारी रोती है,
मुद्दे होते इतने सारे की सब तैयारी छोटी है l

इसी द्वंद में फंसा हूं अब तक क्या यह मेरी जिम्मेदारी है,
इसकी उसकी किसकी किसकी इसमें भागीदारी है l

संस्कार, सभ्यता, मूल्यों का है ऐसा नाश हुआ,
कि भूखे पेट सो रहे गरीबों का रोज रोज परिहास हुआl

धन दौलत से बिगड़ी आदत का ऐसा टांडव छाया है,
माता-पिता हैं घर के बाहर अंदर कोई पराया हैl

गली ,मोहल्ले,हर चौराहे पर प्रेम बढ़ा ही नियमित है ,
आत्म आत्म का मिलन था जो वह जिस्म जिस्म तक सीमित है l

भारत की हर एक दुर्दशा में सबकी भागीदारी है,
मत पूछो यह प्रश्न दोबारा कि यह किसकी जिम्मेदारी है?

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12 DEC 2019 AT 11:45

ना पहनने के लिए कपड़े हैं, ना पीने के लिए पानी और ना खाने के लिए खाना...

कौनसा विकास अभी तक किया है आपने जरा हमें भी बताना...

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4 DEC 2019 AT 11:09

खाव्हिशें गिरवी रख मैं आज चैन से सोया हूं..
बस ये मत पूछो कि मैं कितनी रात रोया हूं..

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19 MAR 2019 AT 15:47

बेताबी मुझे भी है पर पहले तुम शुरूआत तो करो
खामोशी टूटेगी जरूर,मेरी आंखों से मुलाकात तो करो
यूं कहें तो गुमशुदगी हमे भी कुछ खास पसंद नहीं
लेकिन बोलूं क्या पहले तुम कोई सवालात तो करो।

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23 FEB 2019 AT 12:48

आ रही है नींद पर यह कहकर जगा रखा है मेरे सपनों ने

कि तू ही सोच तुझसे क्या आश लगा रखा है तेरे अपनों ने..

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9 SEP 2018 AT 1:30

मैं खामोश नहीं हूं ,बस कुछ बोल नहीं रहा
अपने अंदर की बेचैनी को बस मैं खोल नहीं रहा
तुम सबने भी सिर्फ मेरी ऊपरी खामोशी को ही जाना
इसलिए तो कोई भी मेरे अंदर की गहराई को टटोल नहीं रहा।

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26 AUG 2018 AT 19:52

कहना तो था तुमसे कि खो गए हैं तुम्हारे प्यार में
पता नहीं फिर लगता है क्यों डर इस इश्क के इजहार में
शायद मैं भी हूं एक उस समूह के लोगों में
जो कोसते हैं जिंदगी को हमेशा अपने इस हार मे.

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1 JUN 2018 AT 21:09

बस तू चाह है मेरे दिल की कोई ख़्वाब नहीं
हम चाहते हैं तुझे कितना इसका भी कोई जवाब नहीं
लेकिन तू ये मत समझ कि एक तुझपर ही जिंदा हूं मैं
हूं मैं यहां कितनों के लिए इसका भी कोई हिसाब नहीं।

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