Shivam Singh   (Shivam writer)
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Joined 27 October 2017


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30 MAR 2021 AT 7:23

किसी के दूर जाने से
तअ'ल्लुक़ टूट जाने से
किसी के मान जाने से
किसी के रूठ जाने से
मुझे अब डर नहीं लगता
किसी को आज़माने से
किसी के आज़माने से
किसी को याद रखने से
किसी को भूल जाने से
मुझे अब डर नहीं लगता
किसी को छोड़ देने से
किसी के छोड़ जाने से
ना शम्अ' को जलाने से
ना शम्अ' को बुझाने से
मुझे अब डर नहीं लगता
अकेले मुस्कुराने से
कभी आँसू बहाने से
ना इस सारे ज़माने से
हक़ीक़त से फ़साने से
मुझे अब डर नहीं लगता
किसी की ना-रसाई से
किसी की पारसाई से
किसी की बेवफ़ाई से
किसी दुख इंतिहाई से
मुझे अब डर नहीं लगता
ना तो इस पार रहने से
ना तो उस पार रहने से
ना अपनी ज़िंदगानी से
ना इक दिन मौत आने से
मुझे अब डर नहीं लगता

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4 SEP 2020 AT 19:53

कुछ सोंच कर हमने ये फैसला कर लिया
उनकी खुशी को,उनसे फ़ासला कर लिया।

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11 AUG 2020 AT 4:30

कुछ खुद से उगाए हैं हमने, कुछ कांटे खानदानी हैं,
कुछ दर्द मिले हैं तोहफे में, कुछ गैरों की निशानी है।
ये गम-ए-दास्तां सुन के, न होगा कुछ तुम्हे हशिल,
खुलासा यूं है कि, ये बस एक अधूरी सी कहानी है।

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28 JUN 2020 AT 16:45

अब मिलता भी है तो दुआ सलाम नहीं करता,
छुप के देखने के कोई इंतजाम नहीं करता,

जिसका दिन शाम के तस्सवुर में काटता था,
अब वो मिलकर शाम मेरे नाम नहीं करता,

वो सख्स जो मुझे शामोसुबह याद करता था,
अब वो सुबह शाम भी याद नहीं करता,

इश्क में था तो रौनक ए शक्ल गज़ब की थी,
अब लगता है इश्क जैसा कोई काम नहीं करता,

जिक्र करता भी है 'writer' फलां ढिमका बोलकर,
मंदिर में जाकर भी राम राम नहीं करता ।

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23 JUN 2020 AT 11:44

तेरी ख़ुशी तेरी हिफाजत के लिए मरते थे,
तेरे एक दर्द के हजारों इलाज करते थे,

तू सौ कोश से भी कभी आवाज देता था,
तेरे मिलने को हर मुश्किल किनार करते थे,

आज भी याद हैं मुझे वो बातें मुलाकातें,
एक झलक के लिए एकसी दिन रात करते थे,

तेरी यादों को छतरियां, कम्बल बना लेते थे,
जब सफर सर्दियों में या भारी बरसांत करते थे।

कभी मिलता भी है तो बस हाल पूंछता है,
जो कभी हमसे हर हाल में बात करते थे,

कमाल है कि वो सख्स अब हदें बता रहा है,
जो इश्क में हद से गुजरने की बात करते थे।

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22 JUN 2020 AT 16:37

गर बताना होता तो बताने वाले बता देते हैं,
खुद से नहीं तो किसी के हवाले बता देते है,

तुझे भरम है कि मै खबरदार नहीं हूं,
अखबार से ज्यादा चाय वाले बता देते हैं,

ये मत कहना की मैंने कोशिश बाहोत की,
चलने वालों के पांव के छाले बता देते हैं,

तू बिछड़कर भी मुझसे चैन से सोता रहा,
जागने वालों के घर के ऊंजाले बता देते हैं,

तुझे दर्द है और चेहरे पर शिकन तक नहीं,
घर वीरान होता है, तो जाले बता देते हैं।

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14 JUN 2020 AT 9:04

उनकी गलियों से बच के आते जाते रहे,
कभी मिलें भी तो नज़रें चुराते रहे,

इत्तफाक था, पलट कर देखा उन्हें हमने,
वो हमसे बेरुखी का एहसास दिलाते रहे

कभी कहा था उनसे की जूड़े मिला करो
वो सामने आकर भी जुल्फ बिखराते रहे,

बड़े मायूस थे उस वक्त, की अकेले बैठे थे,
चले जाने के बाद, देर तक मुस्कुराते रहे,

ये तरीका तगाफुल का मुझे राश नहीं आया,
तेरे बगैर तमाम रातें दिन सी बिताते रहे,

कोई सफाई नहीं है मुकम्मल मेरे जुर्म की,
दलील लिखते रहे और लिख कर मिटाते रहे।

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5 JUN 2020 AT 23:47

सजा तेरी हुई , खता किसकी है राम जाने,
दिन क्यों ढला, सूरज जाने शाम जाने,

तू मेरे मशवरे को मसखरा समझता रहा,
अब तू जाने तेरा काम जाने,

इश्क के खेल में नए से लगते हो,
दांव लगा दिया बिना अंजाम जाने।

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5 JUN 2020 AT 19:59


जब बिछड़ना ही था तो मिला क्यों था,
वक्त बेवक्त बातों का सिलसिला क्यों था,

मेरा दर्द जानकर मायूस क्यों था,,
मेरी खुशियों में तू खिला क्यों था।

मै इनके सूखने का इंतजार कर सकता था,
नया जख्म देना था,तो पुराना सिला क्यों था।

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4 JUN 2020 AT 12:47

वो पास न हो तो मोहब्बत क्या है,
एक आश नहीं तो इबादत क्या है,

तेरे. हर. सफर की मुझे खबर रहती है,
मुलाकात न. हो. तो सिरकत क्या है।

तू दुआओं में मुझे नहीं मांगती है,
ये मोहब्बत है तो नफ़रत क्या है।

क्यों चारों तरफ मुखबिर छोड़ रखे हैं,
बात आजमाने की नहीं, तो मकसद क्या है।

तू वक्त पर चल कर भी देर से घर पहुंचता है,
रात को रास्ते में रुकने का मतलब क्या है।

तू मुझसे मिलने के बाद भी चेहरा संवारता है,
बारिशों के बावजूद नहाने का मकसद क्या है।

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