मै एक बार फिर मेरे मन को तेरे मन से मिलवाउंगा
क्यूंकी मै एक बार फिर तेरे शहर आऊंगा....
इन नदियो की चालो मे
यहां इन फूलों के खलिआनो मे
तेरे गीत मै उनको अब सुनाउगा
क्यूंकी मै एक बार फिर तेरे शहर आऊंगा...
इन बहती कश्तियो मे
उस महताब की आँखो मे
तेरे ही रंगो से उन्हे अब मै सजाऊंगा
क्यूंकी मै एक बार फिर तेरे शहर आऊंगा...
मेरे खयालों के मंका मे
मेरे घर के आगंन मे
तेरा ही नाम अब मैं गुनगुनाउगा
क्यूंकी मै एक बार फिर तेरे शहर आऊंगा...
अपनी किताबो के पन्नो मे
अपनी आदत के लम्हों मे
तेरी ही बाते अब मै छोड़ जाउगा
क्यूंकी मै एक बार फिर तेरे शहर आऊंगा...
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