फिर उसी मोड़ पर ले आए जिंदगी
टूटे जहां रिश्ते...
हुई रुसवा है बंदगी,
सोचा ना था देना पड़ा ,
जो इंतिहा यहां...
गुजरी है जो दिल पर मेरे,
कैसे करूं बयां...
होता सवाल गैरों का
तो देते जवाब भी,
अपने को क्यों कर दीजिए.
कोई हिसाब भी,
खाते थे जिसकी कसम...
वह दागी हुई वफा,
है बोल बाला शक का अब
तो इश्क है खफा।।।
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