उसको लगता है , उसने दो पहलू के बीच में मुझको संभाल रखा है,हाय! ये क्या भ्रम उसने अपने जेहन में पाल रखा है।।एक मैं हूं जो देखकर भी करता हूं नज़रंदाज़ उसके हर एक फरेब को,और उस बेखबर को लगता है उसने आंखों पर मेरी पर्दा डाल रखा है।। -
उसको लगता है , उसने दो पहलू के बीच में मुझको संभाल रखा है,हाय! ये क्या भ्रम उसने अपने जेहन में पाल रखा है।।एक मैं हूं जो देखकर भी करता हूं नज़रंदाज़ उसके हर एक फरेब को,और उस बेखबर को लगता है उसने आंखों पर मेरी पर्दा डाल रखा है।।
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वो अजीजों में खुद को,सबसे अजीज समझ रहा है,जो उतर के दिल से मेरे, अब नजरों से उतर रहा है।। -
वो अजीजों में खुद को,सबसे अजीज समझ रहा है,जो उतर के दिल से मेरे, अब नजरों से उतर रहा है।।
आदर हमेशा उसका ही करो,जो किसी के सामने , आपका निरादर न करे। -
आदर हमेशा उसका ही करो,जो किसी के सामने , आपका निरादर न करे।
कभी देखता हूं तुझे अपने कल में शामिल,तो कभी तुझको मैं खुद से जुदा देखता हूं।कभी देखता नहीं तुझे आंख भर कर भी मैं,तो कभी तेरी आंखों में अपना खुदा देखता हूं। -
कभी देखता हूं तुझे अपने कल में शामिल,तो कभी तुझको मैं खुद से जुदा देखता हूं।कभी देखता नहीं तुझे आंख भर कर भी मैं,तो कभी तेरी आंखों में अपना खुदा देखता हूं।
दोस्त : मेरी real में Date Of Birth - 1990 है,मगर घर वालों ने document में 1989 करा रखी है।मैं: मुझे लगता है तेरे घरवालों ने उसी रात से calculation कर ली थी। -
दोस्त : मेरी real में Date Of Birth - 1990 है,मगर घर वालों ने document में 1989 करा रखी है।मैं: मुझे लगता है तेरे घरवालों ने उसी रात से calculation कर ली थी।
कैसे बुझाता उस आग को महज पानी,तेरा हर एक लफ्ज़ था आग की निशानी ।।बेताबी हाथ लगी करके मुहब्बत तुझसे,तुझे खुदा मान लेना थी मेरी नादानी ।। -
कैसे बुझाता उस आग को महज पानी,तेरा हर एक लफ्ज़ था आग की निशानी ।।बेताबी हाथ लगी करके मुहब्बत तुझसे,तुझे खुदा मान लेना थी मेरी नादानी ।।
यूं ही नहीं मैं खुद से छुपने लगा हूं,मैं अब उसकी आंखों में चुभने लगा हूं। -
यूं ही नहीं मैं खुद से छुपने लगा हूं,मैं अब उसकी आंखों में चुभने लगा हूं।
ये जरूरी नहीं भरे तूफान में ही जलता चराग बुझता है,सताने वालों का शरीर बिना ज़ख्म के भी दुखता है।। -
ये जरूरी नहीं भरे तूफान में ही जलता चराग बुझता है,सताने वालों का शरीर बिना ज़ख्म के भी दुखता है।।
नज़र में बसा , दिल में उतरा ,और रग ए जां में उतर गया ।।जब हुये रु - ब - रु बाद अरसे के,शख्स बचाकर निगाहें गुजर गया।। -
नज़र में बसा , दिल में उतरा ,और रग ए जां में उतर गया ।।जब हुये रु - ब - रु बाद अरसे के,शख्स बचाकर निगाहें गुजर गया।।
कुछ तो चल रहा मेरे खिलाफ उसके मन में।कुछ तो उसके जेहन में मक्कारी चल रही है ।।शायद! कोई आ गया तीसरा हम दोनों के बीच में।शायद! मेरे " चौथे " की तैयारी चल रही है।। -
कुछ तो चल रहा मेरे खिलाफ उसके मन में।कुछ तो उसके जेहन में मक्कारी चल रही है ।।शायद! कोई आ गया तीसरा हम दोनों के बीच में।शायद! मेरे " चौथे " की तैयारी चल रही है।।