ये यादें भी,कहीं भी, कभी भी, आ जाती हैं,कभी हँसा जाती हैं तो कभी रुला जाती हैं , भीड़ में तन्हाई और तन्हाई में भीड़ का एहसास दिला जाती हैं।। - Shivakant Shukla
ये यादें भी,कहीं भी, कभी भी, आ जाती हैं,कभी हँसा जाती हैं तो कभी रुला जाती हैं , भीड़ में तन्हाई और तन्हाई में भीड़ का एहसास दिला जाती हैं।।
- Shivakant Shukla