31 OCT 2017 AT 2:57

ये यादें भी,
कहीं भी, कभी भी, आ जाती हैं,
कभी हँसा जाती हैं तो कभी रुला जाती हैं ,
भीड़ में तन्हाई और तन्हाई में भीड़ का एहसास दिला जाती हैं।।

- Shivakant Shukla