Shivendra Singh   (सनकी®™)
456 Followers · 61 Following

read more
Joined 29 March 2017


read more
Joined 29 March 2017
28 JUN 2019 AT 20:30

मैं अपने दस्तों के नक्श सारे मिटा रहा था
बदन समंदर पे लब की नौका चला रहा था

त्रिदेव मिलकर के सृष्टि जब ये बना रहे थे
मैं देवदासी के गेसुओं में नहा रहा था

पलक टिकाए ज़हीन लड़की अना थी मेरी
सो दुनिया-दोज़ख की आग से मैं बचा रहा था

वगरना दोनों ने साथ देने की कस्म ली थी
प मैं अकेले ही अपनी अर्थी उठा रहा था

ये नील खाबों के सब परिंदों की चहचआहट
मुझे लगा मुझको कोई अपना बना रहा था

मैं सारे होश ओ हवास खो बेलिबास होकर
उस इक परीज़ाद के बाजुओं में पड़ा रहा था

था दर्द इतना लबों में उसके के खुद ही अपना
बदन खुरच मैं हर एक बोसा छुटा रहा था

-


24 JUN 2019 AT 20:42





अपने तिश्ना होटों को आरिज़ से मेरे दूर करो
आरिज़ पर बहती नदिया का सारा जल खारा जल है

इश्क़ में डूबे भोले लड़के इसके आगे मत जाना
इसके आगे घना दश्त है और दश्त में दलदल है

चल तुझ पर मरता हूँ मैं पर मेरी भी औकात है कुछ
एक बला जन्नत में बैठी मेरी ख़ातिर पागल है

दो चीज़ें मुझ पागल को करती हैं पागल अनहद तक
पहली तेरी चंचल आँखें दूजा तेरा काजल है

-


23 APR 2019 AT 2:44

ये माथे की बिंदिया ये कंगन ये झुमका
हमारी कहानी का हासिल भला क्या

तुम्हारी खमोशी अखरती है हमको
के बदले में मेरे कोई मिल गया क्या

~ सनकी

-


21 APR 2019 AT 0:48

मैं क्या हूँ ये धरती अम्बर हिल जाएं
गर बोसे तिरे लबों के इनको मिल जाएं

-


19 APR 2019 AT 11:05

दिल बोलता था मेरा झूटे नहीं हैं दोस्त
करना पड़ा यकीं पर सच्चे नहीं हैं दोस्त

इक़ तज़रबा है मेरा, बोले है वो मुसलसल
सच में यकीन लायक होते नहीं हैं दोस्त

ये बेफ़िज़ूल रिश्ते ढोना नहीं गंवारा
दुनिया को समझते हैं, बच्चे नहीं हैं दोस्त

वादा रहा हमारा अब हम न दिखेंगे फिर
हम झूठ-मूठ वादे करते नहीं हैं दोस्त

बेरंग सी दुनिया में फिर रंग भरेंगे हम
टूटे हैं बस ज़रा सा, हारे नहीं हैं दोस्त

जाओ तुम्हे मुबारक़ सहरा ओ समंदर भी
पर ये हमारे दिल से गहरे नहीं हैं दोस्त

हमको गुमां है हम पर, होगा तुम्हे मलाल
हम जैसे दोस्त जल्दी मिलते नहीं हैं दोस्त

~ सनकी

-


15 APR 2019 AT 0:36

हमको जंगल नइं चइए
यअनी के कल नइं चइए

रक़्स उसे करना है पर
पांव में पायल नइं चइए

सापों का डर खत्म हुआ
खुद में संदल नइं चइए

पागल जिसके इश्क़ में हूँ
उसको पागल नइं चइए

मुझको हिज़्र की आदत है
इश्क़ मुक़म्मल नइं चइए

~ सनकी

-


4 APR 2019 AT 22:23


हम में ये जो इक आध ख़सारे निकल आए
सुरखाब के क्यों पंख तुम्हारे निकल आए

दरवेश की गलियों में गए हम कि सुकूं हो
आते ही सभी इश्क़ के मारे निकल आए

वो इतने मेहरबान थे हम पर, कि किया यूँ
हम पर वो बिना ज़ुल्फ़ सँवारे निकल आए

हमने तो दिखाए भी नहीं ज़ख्म दिलों के
चालाक, वो लफ़्ज़ों के सहारे निकल आए

आहट सी हुई थी तिरे कदमों की हमें सो
हम घर से बिना नाम पुकारे निकल आये

थी रात घने बादलों की, चाह थे तारे
जुगनू ने दिया साथ, सितारे निकल आए

थक सी गई थी रूह मेरी जिस्म उठा कर
सो घर से उनके जिस्म उतारे निकल आए

तुम यार अभी हँस के हँसाते थे सभी को
बेसाख्ता क्यों अश्क़ तुम्हारे निकल आए

-


3 APR 2019 AT 20:28

चंदा सी मुस्कान लिए इक़ दर्पण नीला नीला है
यअ'नी नीली आँखों में ये अंजन नीला नीला है

-


3 APR 2019 AT 20:18

बस इतना सा रिश्ता है हम दोनों का
वो बिस्मिल है और मैं हूँ अशफाक सखी

-


3 APR 2019 AT 20:02

सारी शब मैं उसके दर पर खड़ लूँगा
वो मयखाना मैं मय का मुश्ताक सखी

-


Fetching Shivendra Singh Quotes