Shitanshu Rajat   (शितांशु 'रजत'®)
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Joined 18 March 2017


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Joined 18 March 2017
15 AUG 2023 AT 11:55

तीन रंग में उज्जवल कोई ज्योत जली आवाजों में
सुना है मैंने शोर तिरंगे तेरा रोंगटे भरे एहसासों में

गौरव के हर मौके पर जैसे एक सितारा रातों का
मुल्क ये मेरा ऐसे कोई एक चमन जज्बातों का
इतिहासों में थामे शौर्य, बलिदानियों की बोली से
भरा हुआ ये मुल्क हमारा जांबाजों की टोली से

गीता की अटल वाणी से सकल चराचर के भावों तक
विश्व पर्वत की ऊंची चोटी के मस्तक की आंखों तक
जमीं की थाह से पावन गंगा के प्रखर घाटों तक
अंकित है ये भारत मेरा चांद के रौशन भागों तक

है कलम भी नतमस्तक जब भी वतन का प्यार कहे
गहरे तल से आकाशों तक हर गर्व भरा विस्तार कहे।

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24 MAY 2021 AT 15:38

समीक्षा के समक्ष
खड़ी रहती है एक
एक महीन सी रेखा
गुरूर और अना की

समीक्षा जिससे टकरा कर
आलोचना बन जाती है।

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12 AUG 2020 AT 8:45







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23 JUL 2020 AT 8:31

मुझ तक भी जो मेरी बातें
आ कर के ताना मार गई

जब किरदारों की तह में झाँका
तब-तब ज़िन्दगी हार गई।

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15 JUN 2020 AT 0:47

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9 JUN 2020 AT 23:09

कुछ उम्मीदों का घर
कुछ रास्तों का सफर

वक़्त के मुताबिक मुक्कमल
हो ही जाता है

सिर्फ इस बंदिश के परे
कि हमसफ़र
वही पुराने होंगे....

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8 JUN 2020 AT 11:18

फरमाइशों के भी दायरे होते हैं
दायरे जो के अधीन हैं के
फरमाइशें किस मन्ज़िल से रूबरू होंगी
भई, उम्मीद भी बनी रहनी चाहिए
के सब छन-सा न हो जाये कहीं

हाय! ये उम्मीद बड़ी बंदिश है
काश! उम्मीदों के दायरे होते
और टूट जाती ये भी वो सीमाएँ देख के
फिर न पनपती
न दिखाई पड़ती

कम से कम फरमाइशों को आज़ादी
से उड़ा तो पाते
हम-तुम......

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7 JUN 2020 AT 17:23

किसी किताब के भीगे हुए उन पन्नों की मानिंद
जो खोलकर छू लो तो फट जाएँ
और न खोलो तो सूखे नहीं....
थोड़े धुन्धले हर्फ़ और कागज़ की सबसे हल्की परत
या यूँ कह लो फिर के सिगार के कश में बहती सी कतार
और धूमिल सी होती इन साँसों की बयार

इस कदर मन्द पड़ रही है ज़िन्दगी,
इन दिनों......

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6 JUN 2020 AT 9:45

जीवन पाश से आते हुए
मुक्ति की मंज़िल
की तरफ
चलना और पहुँच जाना

ठीक उतना ही दुर्लभ है आज
जितना रहा होगा
समस्त संसार के पहले जीव के लिए
यहाँ जीवन का आधार बनाना
उस मुक्ति से निकल पाना।

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6 JUN 2020 AT 9:26

बार बार अपने मिज़ाज बदलते होंगे
वो लोग औरों के लिए ही जलते होंगे

आग लेते हाथों में न आस पानी की
कैसे मुश्किल वक़्त में सम्भलते होंगे

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