तेरा मेरा रिश्ता?
तू बूँद है पानी की, मैं प्यासा समुन्दर
तू धुन हो जैसे और मैं गीत कोई
तू बारिश का पानी, मैं माटी की खुशबू
तू आवाज़ हो जैसे, मैं बात कोई
तू शाम की ठंडक, मैं तपती दुपहरी
तू सर्द हवा, मैं कुल्हड़ की चाय
तू चाँद सा शीतल, मैं तारों की चादर
तू जुगनू का नूर और मैं रात की चाँदनी
तू किताब हो जैसे, मैं उसमें लिखी कविता
तुझे चाहूं तो चाहत को खुद पर नाज़ हो जाये
तू मिले जो मुझे, मेरी ज़िंदगी का आगाज़ हो जाये।
कैसे कहूँ तेरा मेरा रिश्ता...
मैं नाव हूँ, तू पतवार मेरी
मैं दिल हूँ, तू धड़कन मेरी
मैं गीत हूँ, तू संगीत मेरा
मैं रूह हूँ, तू सुकून मेरा।
मैं रेगिस्तान में जलता बदन कोई,
तू पहली बारिश की फुहार हो जाये
जो तू मिले, मिल जाये सब कुछ,
इस ढलती रात की सुबह हो जाये।
मैं कैसे लिखूं रिश्ता तेरा मेरा...
के दुनियां भर की किताबें कम पड़ जाये।
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