तुम पूछते हो क्या हाल है तुम्हारा, क्यों इस कदर घबराया दिल लिए खड़ी हो, व्यथा सुनो तुम-
युद्ध जारी है अब भी, मैं वो द्रौपदी हूं जिसके साथ गोविंद नहीं, मैं वो अर्जुन हूं जो बिना सारथी कौरवों से घिरा है, मैं वो सुभद्रा हूं, जिसके भ्राता अब उसके पास नहीं.
महाभारत के युद्ध में सारथी ने पार्थ का साथ आखिर तक दिया, मगर ज़िंदगी के युद्ध में पार्थ अकेला है, सारथी ने बीच रास्ते साथ छोड़ दिया. क्या पार्थ जंग लड़ सकता है? अब कौन उसे रास्ता बताएगा?
इक बार फिर उसने दस्तक दी, महीनों बाद लगा अब तो आएगा न वो फिर कभी चिंता से लिपटे शब्दों की बारिश करता वो इक टक निहारती उसकी प्रेमिका, नज़रें ऊपर किए, ये सोच रही, कोई कैसे इतना प्रेम कर सकता है
ये दो लोग एक दुनिया में भी नहीं एक धरती पर मुसीबतों से घिरी तो एक आसमां में बसने को मजबूर मुलाकात हुई भी तो कहां इक ख़्वाब में जब प्रेमिका को परेशान देख रहा न गया वो सारे नियम तोड़ प्रकृति के, मिलने चला आया