तुम क्या हो मेरे लिए,
बारिश के बाद मिट्टी की खुश्बु सोंधी!
तुम क्या हो मेरे लिए,
आंसुओ के बाद होंठो पर छलकती हंसी!
तुम क्या हो मेरे लिए,
पोर-पोर में जो भर दे ऊर्जा वो संगीत की धुन!
तुम क्या हो मेरे लिए,
पारस पत्थर जिसे छूकर लोहा हो जाये स्वर्ण!
तुम क्या हो मेरे लिए,
दूर जंगल में कहीं खिला हुआ कोई अद्भुत सुमन!
तुम क्या हो मेरे लिए,
चाँद को आगोश में लिए ये विस्तृत गगन!
तुम क्या हो मेरे लिए,
वो सब कुछ जिसके बिन अधूरा है जीवन!

- शिखा अनुराग