ज़िंदे को मुर्दा मुर्दे को जिंदा बताना आजकल आम हो गया है
इंसानियत को भूल इंसान अब पैसों का गुलाम हो गया है.
लाश का इलाज और बीमार लाचार इस देश का हाल हो गया है
यहाँ का आधुनिक डॉक्टर फरिश्ता cum हैवान जो हो गया है.
मानवता, करुणा, दया भाव तो महज शब्द ही रह गया है
इंसान अब राजनीति का महारथी और विद्वान् जो हो गया है.
मरीजों की तड़प से अब कहाँ किसी का जुड़ाव रह गया है
अब खुदा के इस रूप का भी पैसा ही भगवान हो गया है.
किसी को मारना और मरे हुए का फायदा उठाना आम हो गया है
इंसान की इन हरकतों से इंसानियत भी शर्मसार हो गया है.
खैर है की इन हैवानो में अब भी यहाँ कुछ इंसान रह गया है
नमन है 'जूही' का उनको पैसा नहीं पेशा जिनका भगवान हो गया है.
- ©Shikha