12 JUL 2018 AT 19:40

मैं आँखों से बयान करता था,
वो लफ़्ज़ों में प्यार खोजती थी ।

मैं दुआओं में उसे रखता था,
वो ख्वाबों में खुदको ढूंढ़ती थी ।

कहानी तो अधूरी ही रहनी थी साहिब!

मेरी खामोशी बोला करती थी,
और वो शब्दों को ही समझती थी..

- शिखा मलिक