मैं आँखों से बयान करता था, वो लफ़्ज़ों में प्यार खोजती थी ।मैं दुआओं में उसे रखता था,वो ख्वाबों में खुदको ढूंढ़ती थी ।कहानी तो अधूरी ही रहनी थी साहिब!मेरी खामोशी बोला करती थी,और वो शब्दों को ही समझती थी.. - शिखा मलिक
मैं आँखों से बयान करता था, वो लफ़्ज़ों में प्यार खोजती थी ।मैं दुआओं में उसे रखता था,वो ख्वाबों में खुदको ढूंढ़ती थी ।कहानी तो अधूरी ही रहनी थी साहिब!मेरी खामोशी बोला करती थी,और वो शब्दों को ही समझती थी..
- शिखा मलिक