Shekhar Suman  
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Joined 18 June 2017


Joined 18 June 2017
19 MAR AT 22:21

मेरे शब्दों के कोई
सिर-पैर नहीं होते,
जब तक अंदर रहें
मन के कोने में
बिलबिलाते रहते हैं,
मैं इन शब्दों को पचा नहीं पाता
अपच से पीड़ित मेरे मन से निकले
इन अनंत शब्दों के बीज से
उग आते हैं कई घने जंगल,
मैं उन जंगलों में बैठ कर
अपने अस्तित्व को नकार दिया करता हूँ....

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13 MAR AT 23:51

मैंने नहीं लिखा प्रेम कई सालों से,
दुनिया में बचा है ना प्रेम,
या विलुप्त हो रहा धीरे-धीरे
ओज़ोन की परत की तरह ..

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12 MAR AT 15:26

मुझे मालूम है
हम मिलेंगे कभी,
कहीं ना कहीं
शायद मरने के बाद
शायद अगले जन्म से पहले,
या फिर शायद अगले जन्म में.

अगर जो ना मिल पाएं तो,
ये मत सोचना मैं अटका हूँ कहीं,
मैं निकल गया हूँ
वहाँ से बहुत दूर
बस दिल का एक कोना पीछे छूट गया है.

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2 MAR AT 21:51

तुम उदास मत होना
मुझे छोड़ जाने के बाद,
मैंने बसा लिया है ख़ुद को
हर बार उजड़ जाने के बाद..

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17 OCT 2023 AT 9:37

वो तेरे शहर का रस्ता अब पुराना लगता है,
ख़त तेरा, अब गुज़रा ज़माना लगता है…

मैंने दिल खोल कर रख दिया था तिरे सामने,
वो प्रेम जैसे अब पानी में आग लगाना लगता है…

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13 OCT 2023 AT 9:10

मैंने नहीं लिखा प्रेम कई सालों से,
दुनिया में बचा है ना प्रेम,

या विलुप्त हो रहा धीरे-धीरे
ओज़ोन की परत की तरह …

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13 OCT 2023 AT 0:59

मैंने क्यूँ नहीं जाना,
कि जो खो जाता है इक बार

वो फिर कभी नहीं मिलता,
चाहे वो स्वयं का वज़ूद ही क्यूँ ना हो.

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18 APR 2023 AT 0:53

कुछ बदलाव ज़िंदगी ने कुछ यूँ किए,

पहले वो खुश होने की कोशिश करता था
अब खुश दिखने की कोशिश करता है…

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19 JUL 2022 AT 8:46

मैं चुपचाप हूँ,
इसलिए नहीं कि
कहने को कुछ नहीं,
बल्कि इसलिए कि
कुछ कहे-सुने
के दरम्यान
मेरी धड़कनें खो जाती है….

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19 JUL 2022 AT 8:45

ठंड के वक़्त,
रज़ाई में दुबक कर
लिखी गयी कविताएँ
अक्सर गर्मियों में
पिघल जाया करती हैं…

इसलिए
मैंने लिखी हैं कुछ नज़्में
जिनके अंदर छिपी हैं
मेरे दिल की चिंगारियाँ…

#LikhnaPhirSe

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