मोह्हबत के शहर में हर कोई ग़म लिए बैठा हैकिसी पे ज्यादा तो कोई कम लिए बैठा है,जख़्म तो ख़ुशी से देंगे तुम्हें ये ज़माने वालेफ़क़त मेरा ख़ुदा है जो मरहम लिए बैठा है। - shibu
मोह्हबत के शहर में हर कोई ग़म लिए बैठा हैकिसी पे ज्यादा तो कोई कम लिए बैठा है,जख़्म तो ख़ुशी से देंगे तुम्हें ये ज़माने वालेफ़क़त मेरा ख़ुदा है जो मरहम लिए बैठा है।
- shibu