भगवान शंकर ब्रह्मांड के राजा है,
जिनके नेत्र दुनिया में रोशनी प्रदान करती है, ऐसे मायावी, शक्तिशाली है मेरे भोलेनाथ।
जो अमृत त्याग हलाहल पिए,
सोने की लंका त्याग वैराग्य चुने,
ऐसे महानायक है मेरे महाकाल सरकार।
वो त्याग में प्रथम,
वो तप में प्रथम।
ना संसार का मोह,
ना समय उनके सामने प्रबल,
ऐसे है मेरे प्राणनाथ।
गंगा को जटा में बसा ले,
चंद्रमा को श्रृंगार का साधन बना ले,
वासुकीनाथ गले में जिनके,
सर्प का जो पहने यगोपवित,
ऐसे अघोर, भयंकर है मेरे भोले शंकर।
गण प्रभु का सबसे अनोखा,
भृंघी यही है,
श्रृंगी यही है,
नंदी महाराज यहां,
भूत प्रेत यही है।
आंसू भी प्रभु का इतना प्रबल की नाम मिला तो रुद्राक्ष का,
और धारण करो तो बल स्वयं तुम में रुद्र सा।
~शौर्य भारद्वाज
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