रूपा अनुछन्द  
3.0k Followers · 119 Following

Instagram ID :- @therupadey_
Joined 13 January 2018


Instagram ID :- @therupadey_
Joined 13 January 2018

आकाश के नीचे
एक घर,
घर में हैं दो खिड़कियाँ...
दो दरवाजा;

मेरा मन है,
वो खुला आसमां....
जिसके नीचे हैं
ख्वाबों का घर बना;

आँखें हैं...
दरवाजा जिसकी और,
है वही खिड़कियां;

दिन भर...
बनी फिरती हैं जो दरवाजा,
देर रात को बन जाती हैं खिड़कियां;

दरवाजे से आती जाती हैं
दुःख सुख और
कभी कभी घृणा भी;

मगर खिड़कियों से आती हैं
शांति सुकून
और तन्हाई भी;

खुली रखती हूँ मैं हमेशा खिड़कियां को
दिन में रखनी पड़ते हैं
खुले दरवाजे भी;

आकाश के नीचे
एक घर
घर में हैं दो खिड़कियाँ
दो दरवाजा।।

-



फिर उसकी जिंदगी में कोई जगह नहीं बना पाता,
बना लेती है जिसकी जिंदगी में घर बीमारी अपना।।

-



बता देना जमाने को,
थी एक लड़की...
मोहब्बत में खुद को
करके बदनाम,
नाम वालो पर हँसती थी,
रोती थी
महबूब की बांहों में,
साथ उसके
मुस्कुराती थी,
थी एक लड़की...
मोहब्बत में
मोहब्बत से जीने के
सलीके जमाने को सिखाती थी।।

-



भरा है दीया, बाती से
मगर रात खाली है;

पूछो चंद सवाल जिंदगी से,
तो कहता है...
तू बड़ा सवाली है;

मुझसे ज्यादा
खुशकिस्मत तो....
तेरे कानों की बाली है;

घर है मकड़ी का वो,
और हम कहते है कि
......जाली है;

मोहब्बत में
नुमाइश जिस्म की?
ये तो मोहब्बत के लिए
सरासर गाली है;

जिंदगी ने....
बहुत मज़े लिए है मेरे,
इस बार मेरी पाली है;

दीया बेच के
वो ले आया दाना दिन का,
वो बात अलग है कि
दीवाली है।।

-



सवालों का जवाब है,
भटकी सड़कों पर ठहराव है;

बच्चे का माटी से जो लगाव है,
कभी मरहम है, कभी घाव है;

कभी रिमझिम बारिश,
तो कभी पेड़ की छांव है;
जिंदगी हार कर भी...
जो जीती जाए, वो दाव है;

दोस्ती क्या है?
कभी सवालों का पिटारा,
तो कभी खुद ही जवाब है।।

-



आज को आज में तराशा नहीं,
फिर पूछते हैं हम
क्या होगा हमारा पता नहीं!

आज को आज ही सँवारा नहीं,
फिर जब देखते हैं उसे
अर्धनग्न...
तो कहते है कि
ये गंवारा नहीं!

आज को आज में बसाया नहीं,
जब पाते हैं उसे
बंजर....
तो लगता है कि
क्यों कुछ उगाया नहीं!

आज तो आज का साथ निभाया नहीं,
और जब छूट जाता है
पीछे आज....
तब सोचते हैं कि
क्या था जो मुझे
आज का भाया नहीं!!

-



पता है,
चाँद क्यों इतना अकेला है,
क्योंकि उसमें दाग है।

पता है,
सूरज क्यों इतना अकेला है,
क्योंकि उसमें आग है।

पता है,
हवाएं क्यों इतनी लुभावनी है,
क्योंकि उसमें राग है।

पता है,
जीवन इतना कठिन क्यों है,
क्योंकि उसमें रात है।

पता है,
आशाएं क्यों इतनी कठोर है,
क्योंकि उसमें आज है।

पता है,
मुझमें क्यों इतनी शिकायतें हैं,
क्योंकि तुममें राज है।।

-



मेरी कविताओं में तुम,
मेरे नज़्मों में तुम;

मेरे किस्सों में तुम,
मेरी शायरी में तुम;

मेरे ग़जलों में तुम,
मेरे फैसलों में तुम;

हो गर नहीं कहीं तुम,
वो है मेरी कसमों में तुम।।

-



is the life
we choose
to live upon.

-



औरतों ने जिस्म बेचा
तो उनका नाम तवायफ हो गया;

औरत अगर बच्चे को ना जन्म दे पाई
तो उनका नाम बाँझ रख दिया;

औरत अगर ना औरत हो पाई ना ही मर्द,
तो उनका नाम किन्नर रख दिया;

ये समाज औरतों को
नाम देने में हमेशा आगे रहता है;

मगर ताज्जुब की बात ये है कि
समाज कभी मर्दों को ऐसे नाम नहीं देता है;
जबकि इन सब क्रियाओं में मर्द भी शामिल है।।

-


Fetching रूपा अनुछन्द Quotes