Shashwat Mishra   (Brahma)
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Joined 23 March 2017


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14 MAR 2020 AT 1:11

रात के साये में यूं रूठा मत करो तुम,
मैं घने अंधेरे में कहीं घूम सा जाता हूं।

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13 FEB 2020 AT 15:01

सबके ना बन सके मुखबिर हो तुम,
मगर इस दिल के मुसाफ़िर हो तुम।

घूमी हमने भी पूरी है दुनिया,
मगर इस भक्त का मंदिर हो तुम।

सब कुछ ग़लत हो जाए,
मगर सही करने वाली साहिर हो तुम।

मिल ना सकी हमें भी पनाह कहीं,
मगर इस बनजारे की नासिर हो तुम।

चाहे सबको भुल जाऊँ मैं,
मगर इस ज़ुबान पर हाज़िर हो तुम।

मिले कई अनमोल रत्न मुझे भी,
मगर इस ब्रह्मा के लिए नादिर हो तुम।

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21 JAN 2020 AT 23:33

सबके ना बन सके मुखबिर हो तुम,
मगर इस दिल के मुसाफ़िर हो तुम।

घूमी हमने भी पूरी है दुनिया,
मगर इस भक्त का मंदिर हो तुम।

सब कुछ ग़लत हो जाए,
मगर सही करने वाली साहिर हो तुम।

मिल ना सकी हमें भी पनाह कहीं,
मगर इस बनज़रे की नासिर हो तुम।

चाहे सबको भुल जाऊँ मैं,
मगर इस ज़ुबान पर हाज़िर हो तुम।

मिले कई अनमोल रत्न मुझे भी,
मगर इस ब्रह्मा के लिए नादिर हो तुम।

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15 JAN 2020 AT 12:04

दुश्मन - ऐ- जानी है ज़माना, कोई तो सम्भालो,
दर्द दे कर है प्यार कमाना, कोई तो सम्भालो।

नदी के उस पार कोई अपना पुराना रहता है,
उसको देख हुआ मौसम सुहाना, कोई तो सम्भालो।

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29 DEC 2019 AT 6:46

आज भी उन फिज़ाओं से तेरे बदन की खुशबू आती है,
आज भी उन रास्तों में तेरी खिलखिलाहट सुनाई देती है,
तू आज करीब न होकर भी मेरे बहोत करीब है,
आज भी मेरी हर धड़कन में मुझे तेरे प्यार का एहसास देती है।

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18 DEC 2019 AT 17:58

ये कैसा मौसम हो रहा है आज कल,
कहीं है धूप तो कहीं है अंधेरा।

आसमां को अब दिन में भी नजर लगती है,
तुम यूं रात को अमावस ना किया करो।

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1 DEC 2019 AT 18:56

आंखें मेरी तेरे सजदे में रहती है,
खुशबू मेरी तेरे गजरे में रहती है,
देखूं आसमां में तो बादल कहते है,
तुम हो जो मेरे मतले में रहती है।

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17 NOV 2019 AT 17:09

Smoke of the past will make the descry of future invisible,
But you continue your expedition by giving best in present.

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17 NOV 2019 AT 16:49

तेरी मुस्कान को क्या नजरअंदाज करें,
तुम्हारी खिलखिलाहट के जो दीवाने ठहरे।

अब चांद को भी क्या भूलें,
जब चांदनी से हमारे अफ़साने ठहरे।

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14 NOV 2019 AT 10:04

मैं तेरा वहां इंतजार करता रहूंगा,
तुम किसी रहनुमा की तरह मुझे जीत लेना।

दैर की दीवारों पर चाहे अपना नाम ना मिले,
फ़कत अपनी किल्क से तुम मुझे अमर कर देना।

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