सबके ना बन सके मुखबिर हो तुम,
मगर इस दिल के मुसाफ़िर हो तुम।
घूमी हमने भी पूरी है दुनिया,
मगर इस भक्त का मंदिर हो तुम।
सब कुछ ग़लत हो जाए,
मगर सही करने वाली साहिर हो तुम।
मिल ना सकी हमें भी पनाह कहीं,
मगर इस बनजारे की नासिर हो तुम।
चाहे सबको भुल जाऊँ मैं,
मगर इस ज़ुबान पर हाज़िर हो तुम।
मिले कई अनमोल रत्न मुझे भी,
मगर इस ब्रह्मा के लिए नादिर हो तुम।
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