अंधेरे से बातें करने की, कोशिश करते हों।
आँखों को मूंदकर, भरें दिन के उजालों में।
वक्त से ठहरने की, दरख्वास्त करते हों।
अनकहे जज्बातों को, पिछे छोड़ जाने में।
आंसुओं से दिल हल्का करने की, तमन्ना करते हों।
लफ़्ज़ों की तिखीं तलवारें, बेबाक चलाने में।
खुद को उसके हवाले होने की, आरज़ू करते हों।
अपने आपकों बंद दरवाज़ों में, दफनाने में।
जिंदा ज़ख्मों से न चुभने की, फरियाद करते हों।
एहसासों की मौत का, मातम मनाने में।
उसे घर तक छोड़ आने की, तैयारी करते हों।
दिल उसका वापिसी में, घर ले आने में।
-