19 APR 2018 AT 20:31

चौखट पर बैठी है शाम
आशा की किरण ओढ़े हुए
कर रही तेरा इंतज़ार है
कहकर गयी थी जल्दी आऊंगी माँ
घड़ी की टिक टिक मन विचलित कर रही थी
की वो वापस आयी और बोली माँ शर्म का दुप्पटा क्या होता है,
विचलित माँ को कुछ समझ न आया और बोली ये ऐसा दुप्पटा है जो हर स्त्री को ओढ़ना पड़ता है,

ना समझ उस बच्ची ने कहा ये दुप्पटा हम ही क्यों ओढ़े ,
माँ बोली लड़की एक गहना है उस गहने को संभाल कर रखने के लिए ये दुप्पटा ओढ़ना जरूरी है,
विचलित लड़की ने आखिर पूछ लिया कि ये शर्म का दुप्पटा क्या कभी गर्व का दुप्पटा बनेगा।
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- Shanu