राह देखी थी इस दिन की कबसे ,
सपने सजा रखे थे ना जाने कबसे,
बड़े उतावले थे यहां से जाने को,
जिंदगी का अगला पड़ाव पाने को..
पर ना जाने क्यों आज दिल में कुछ और आता है,
वक़्त को इसी पल रोकने का जी चाहता है।
जिन बातों को लेकर रोए, आज हंसी आ रही है,
जाने क्यों आज उन पलों की याद बहुत आई है..
कहा करते थे बड़ी मुश्किल से दो साल सह गया,
पर आज क्यों लगता है कि कुछ पीछे रह गया।
ना भूलने वाली कुछ यादें रह गयी,
यादें जो अब जीने का सहारा बन गयी।
मेरी टांग अब कौन खींचा करेगा,
सिर्फ मेरा सिर खाने कौन मेरा पीछा करेगा,
घूमने जाएंगे कह कर कोन मुकरेगा,
फिर इस बात पर हफ्ते भर कोन लड़ेगा।
कौन रात भर साथ जग कर पड़ेगा,
कोन मुजे चाय बिस्कुट के लिए बुलाएगा,
कौन मेरे नए नए नाम बनाएगा,
कौन गलती पर मेरी मुझे गालियाँ सुनाएगा।
किस के साथ टिफिन शेयर करूंगा,
ना जाने ये फिर कब होगा,
दोस्तों के लिए फिर ये CR कब लड़ेगा,
शाम गयी वो रातें भी गयी,
पर ना जाने क्यों आज दिल में कुछ और आता है,
वक़्त को इसी पल रोकने का जी चाहता है।❤️
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