नही सोचा था कि सर जमीनें हिंदुस्तान पे ऐसा समय आएगा। गुनहगारो को छोड़ कर के निर्दोषों को पकड़ा जाएगा। हमारे खून का इल्ज़ाम हम ही पे डाल दिया जाएगा। उठाएं आवाज़ तो बंदूक-लाठी से हमारा मुह बंध करवा दिया जाएगा। मरेंगे इन्शान औऱ उनको हिंदु-मुसलमान में बाट दिया जाएगा।
ए मेरे देश की मिट्टी, अब कितना बलिदान दु? सब कुछ न्योछावर कर दिया, क्या अब दिल बाहर निकाल के रख दु? फिर भी कही अपना नही रहे मुझे इस मिट्टी पे, क्या अब में मेरा कफन तैयार कर दु? मिट्टी पे तो ये सतायेंगे मुझे, कल में तुझहि में में तो मिल जाऊंगा, और वो हवाओमें मिल के पछतायेंगे। कल तू मुझे गले लगाएगी, जो दुख मुझे दिए है तुझपे कल तुझमे मिलाके तू भुलायेगी। ए मेरे देश की मिट्टी। तू ही मेरी तरफसे इनको मेरी मोहब्बत का एहसास कराएगी। ए मेरे देश की मिट्टी।