Shadan Kamil  
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Joined 13 October 2017


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Joined 13 October 2017
9 JAN 2021 AT 23:21

हां हर मोड़ हर कदम हर परेशानी में साथ तो पूरा देंगे
मगर ये जो दोस्त है , दुश्मन बने तो इन्तिकाम बदतरीन लेंगे
मैं सोचता हूं कि मेरे ख्वाबों की इक छोटी सी दुनिया
इससे ज़्यादा अपनी नींद से भला काम क्या लेंगे
तुम जो देखते हो तो बारहा इसमें ताज़्जुब कैसा
मुनाफ़िक़ है, मगर खुदा का नाम तो ज़रूर लेंगे
ना मरासिम, ना कोई गुफ़्तुगू, ना कोई मलाल
अब वो भूल जाने का वादा भी भला हम से क्या लेंगे
हम तो है इश्क़ की बाज़ी में हारे हुए, मारे हुए
ये अदना से लोग भला अब हमारा इम्तिहान क्या लेंगे
ये दुनिया है यहां तो आसां है कि जीत जाओ तुम मगर
वहां खुदा के सामने, सोचो मज़लूम बदला क्या लेंगे

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2 JAN 2021 AT 13:58

तेरे इश्क़ में जान ए जां ये मुक़ाम भी पा लिया है
मिसाल बनाना था खुद को , इबरत बना लिया है

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5 DEC 2018 AT 22:14

सिलसिला वो ही, किसी हुस्न वाली का हुस्न ओ ज़हूर नही चाहिए
मेरी मोहब्बत से मिला देना या रब, मुझे जन्नत में हूर नही चाहिए

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16 OCT 2018 AT 13:10

तुम से बिछड़कर किसी ओर से दिल ना मिला
सब चेहरों के पीछे कोई ओर चेहरा मिला
गाँव की रोटी की वो लज़्ज़त वो ज़ायके
शहर का तो मुर्ग मुसल्लम अच्छा ना मिला
हमने ही बचाई है इंसानों की लाज यहाँ
दौड़ते लहू में शामिल कोई अश्क़ ना मिला
हुनर वो है जो बताए शान सिर्फ खुदा की
इंसान के इख्तियार में तो कुछ भी ना मिला
हसरत यही कि फिर मिल जाये वो कही पे
इस उम्मीद से बेहतर ,कोई ख़्वाब ना मिला

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21 JUN 2018 AT 23:30

तुमसे कितनी मुहब्बत करता हूं
ज़िन्दगी, तुम ये पूछ रही हो क्या
शहर खुशबुओं सा महक रहा है
अब भी वो ज़ुल्फ़ सवारती हो क्या
यूं मुझे अजीब सा डर लगा रहता है
तुम मुझसे फिर मिलने वाली हो क्या
उसने ये मुस्कुराते हुए पूछा मुझ से
तुम मेरा दुख भी समझते हो क्या
मैंने फिर उठा लिया है कलम
तुम मुझे याद आ रही हो क्या
लोग शायर पुकार रहे है मुझे
तुम बेवफाई कर रही हो क्या
कैसे जान लिया हाल ए दिल
मेरी ग़ज़ल भी पढ़ती हो क्या

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16 JUN 2018 AT 3:44

नही मंज़िल की तलब , राहों को अपने साथ रखता हूं
मैं अपने साथ रहूं ना रहूं , तुमको साथ रखता हूं
ये मोजजा भी देखा है दिल ए बेज़ार ने एक रोज़
साथ मेरे सांस रहे न रहे , तेरी खुशबू साथ रखता हूं
यूं नासमझी में तो नही की थी हालांकि मैने आशिकी
अब ख़ता की है तो साहब हथेली पे जान रखता हूं
यूं मुसलसल बेसुद हो कर ढूंढ तो रही है सारी दुनिया
मैं उनको कैसे बताऊं , चाँद तो मैं अपने साथ रखता हूं

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19 MAY 2018 AT 18:27

जॉन का खुमार तो बस अब उतरने से रहा
इस ज़िन्दगी तो बस अब मैं सुधारने से रहा

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14 MAY 2018 AT 13:03

बहुत वक़्त हो चला है मुझको
"सोचता हूं" अब ना सोचू उसको

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19 APR 2018 AT 18:16

मैं खुद को नाराज़ ना करता तो क्या करता
ये दिल कह रहा था ,बस अब दर्द की इंतिहा हुई

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18 APR 2018 AT 1:35

मेरे ये अरमां जब मरने से लगे है
वो पत्थर दिल अब पिघलने से लगे है
इश्क़ की शोखियां उन्होंने तमाम देखी थी
जनाज़े वफाओ के अब निकलने से लगे है
लहजे में तल्खियां ही सही तुम्हारे ए जान
हम भी चलो वक़्तिया संभलने से लगे है

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