Saurabh Shukla   (हर बात में जज़्बात)
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Joined 9 January 2018


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Joined 9 January 2018
7 JUN 2022 AT 12:29

बिगड़ने लगते हैं रिश्ते अक्सर
जब इंसान सुधरने लगता है।

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18 MAY 2022 AT 0:08

खुदा बनी बैठी है दुनिया,अब कोई नज़र नहीं आता
आईने के सामने बैठा हूं ,पर कोई नज़र नहीं आता
झूठे सारे नज़र आते हैं दुनिया में
पर कमबख्त किसी का झूठ नज़र नही आता

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11 FEB 2022 AT 20:07

आज मुश्किल लग रहा है उसे मना पाना
शायद वो रूठा नही है , बस रूठा बैठा है ।— % &

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18 NOV 2021 AT 14:49

वो चाहे भी तो शयद, अब वापस आ नहीं सकता
जल्दी जल्दी मंज़िल बदलने वालों को रास्ते याद नहीं रहते

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15 NOV 2021 AT 12:17

मैं कुछ भी कहूं , ना जाने क्यों वो बुरा मान जाते हैं
कमबख्त जो सच जानते हैं, वही सच सुन के बुरा मान जाते हैं

वो जो पानी लिए फिरते हैं दुनिया की आग बुझाने के लिए
मैं भूखे बच्चे का पता बताता हूं तो बुरा मान जाते हैं

कुछ भी कहो सब जानते हैं अपनी हकीकत
मैं उन्हे अच्छा कहता हूं तो वो बुरा मान जाते हैं

यूं तो नदियां मिलती ही हैं जा कर समुंदर में
जो एक दरिया बगावत कर ले समुंदर बुरा मान जाते हैं

यूं तो कब्ज़ा कर के रखते हैं पूरी रात आसमान पर
एक सूरज रोशनी ले कर आता है तो तारे बुरा मान जाते है

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13 NOV 2021 AT 23:47

जली सी महक ही तो आएगी शहर की मिट्टी से
कई गांव जो राख हो गए यहां पहुंचते पहुंचते।

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12 NOV 2021 AT 23:46

जिन्होंने अभी उड़ना सीखा है बस वही हैं आसमान में
वरना उम्र के साथ परिंदो को घोंसला अच्छा लगने लगता है

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12 NOV 2021 AT 14:39

हां मैं बिगड़ा हुआ हूं , सही सुना है तुमने
पर सिर्फ उसके लिए हूं , जिससे सुना है तुमने

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11 NOV 2021 AT 18:08

बहुत दूर से उसको आवाज़ मत दो उसको
जो उसके पास हैं, उसे मुड़ने नही देंगे।

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11 NOV 2021 AT 17:13

हम सब ने किसी का हाथ पकड़ा हुआ है
हम सब खुद से बिछड़े हुए हैं

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