क्या मांगू खुदा से,
बिन मांगे मिल गई तू।।
जब हुई तुझसे मोहब्बत,
न जानें क्यों छीन गई तू।।-
क़िस्मत लिखने वाले ने,
मेरे क़िस्मत में हर खुशी लिखी।
तुझे न लिख कर,
मेरी जिंदगी अधूरी लिखी।।-
अगर तुम मेरे क़िस्मत में न होती,
तब भी मैं छीन लेता।
हालातों से मजबूर हूं,
तभी तो तुझ से दूर हूं।।
-
मंजिल की तालाश में निकले थे।
सफर ही बुरा मान गया।।
कसूर किसको ठहराए।
इल्जाम तो मेरे पे ही आ रहा।।-
हालात मेरे जैसा भी हो,
मैंने पैसे को एक साधन माना है।
पैसा भी कम नहीं है,
वो भी हर पल ऐसे जताया है,
जैसे की वो मेरी जिन्दगी हो।।-
मैंने जिंदगी को हर पल बदलते देखा है।🤔
गम को साथी🤝, तो खुशी को बेवफ़ा होते देखा है।।😢-
मैं नहीं चाहता की,
मैं जीवन के सभी निर्णय सही ही लूं।
कुछ गलत निर्णय भी अच्छा हजूर्बा दे जाती है।
जो उस सही निर्णय के मुकाबले अधिक मूल्यवान होती है।।
-
तेरी मोहब्ब्त ने मुझे,
क्या कुछ न दिया है।
एक तुझे न पा कर,
मैने बहुत कुछ खोया है।।-
मत करो बदनाम,
मोहब्बत में किसी को।
कभी तूने भी की थी।।
उस पल को याद करो।
तुम भी बेचैन थी।।-