तेरे माथे पे जो ये पसीने की बूंदें हैं न,ये बूंदें नहीं !तेरे मेहनत से तराशी गईं,हीरे की नगें हैं !जो चमचमाती हैं,तेरे माथे पे,शहंशाह के ताज की तरह ।।© सौरभ मिश्रा - © सौरभ मिश्रा
तेरे माथे पे जो ये पसीने की बूंदें हैं न,ये बूंदें नहीं !तेरे मेहनत से तराशी गईं,हीरे की नगें हैं !जो चमचमाती हैं,तेरे माथे पे,शहंशाह के ताज की तरह ।।© सौरभ मिश्रा
- © सौरभ मिश्रा