28 JUN 2017 AT 21:34

तेरे माथे पे जो ये पसीने की बूंदें हैं न,
ये बूंदें नहीं !
तेरे मेहनत से तराशी गईं,
हीरे की नगें हैं !
जो चमचमाती हैं,
तेरे माथे पे,
शहंशाह के ताज की तरह ।।

© सौरभ मिश्रा

- © सौरभ मिश्रा