20 JUL 2018 AT 14:27

क्यूं डरता है तू इन छोटी छोटी हार से
घबराता है जो इन बंदिशो की तू दीवार से।।
आजाद कर खुदको इन खोखल झूठे वादों से।
खुद को मिटा रहा है क्यूं किसी ओर की यादो से।।

झाँक खुद में अब तू खुद को पहचान ले।
तेरे बुरे वक्त का तू ही साथी यह जान ले।
माना उबरने में वक़्त तुझ बेशक बेहिसाब लगेगा।
पर यकीन मान बाद उसके तुझे हर पल नायाब लगेगा।।

पैरवी करना बंद कर अब अपने इस बहाने की।
छोड़ शिकायत अब तू दुनिया जमाने की।।
अगर हारा भी तो क्या गम करना यह ना कोई नासूर है।
आज नही तो कल दोस्त जिंदगी का सफर अभी बहुत दूर है।।






- Kavirabh