21 MAR 2018 AT 8:12

वो रूठा है मुझसे,मनाऊँ कैसे।
चाहा है उसको बेइन्तहां,जताउँ कैसे।।

हर बार आँसू आते है उसके, मेरी वजह से।
पर मैं फ़रेबी भी नही, उसे ये बताऊँ कैसे।।

उसके लब पर हो हँसीं, ये दुआ रही मेरी।
आज जो वो है परेशां, तो उसे हसाऊँ कैसे।।

चलो कर देते हैं उसे, जुदा खुद से।
की साथ रख उसे अपने, अब रुलाऊँ कैसे।।

हमदर्द मेरा "दर्दों" का बादशाह बन रहा।
वजह हूँ मैं, ये भुलाऊँ कैसे।।

बना दिया जैसे एक इंसान को "पत्थर" मैंने।
की अब उसे फिर "इंसान", बनाऊँ कैसे।।



- © एक_स्याही(कलश)✍