Saumya Tiwari   (© एक_स्याही(कलश)✍)
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Joined 18 November 2017


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Joined 18 November 2017
28 JUL 2023 AT 8:13

बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में
बेहद अनुकूल होना, जीवन "जीना" है...!

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25 JUL 2023 AT 13:39

"सवालों का पूछा जाना" जरूरी नहीं उत्तरों की अभिलाषा ही हो...!

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25 JUL 2023 AT 13:38

परिस्थितियों की "स्वीकार्यता" उसे अपनाने का सबसे सरल साधन है...!

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25 JUL 2023 AT 13:34

"तुम बदल जाते हो" सोच ने वक्त से कहा,

ये कहा जाना ही समय के
"स्थायित्व" का सबसे बड़ा अपमान था

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25 MAR 2023 AT 17:38

और मैं बैठकर मिट्टी पर
पत्थरों की खैरियत पूछती हूं...!

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25 MAR 2023 AT 17:29

किश्तों में बांट लिया गया है हमें
थोड़ा थोड़ा अब सबको मिल रहे हैं हम...!

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15 FEB 2023 AT 21:19

एक खंडर को प्रकृति से जोड़ उसे
प्राकृतिक, स्वच्छंद और समर्पित "जंगल"
बनाने एक "बूंद" बेहद जरूरी होती है...

हैप्पी जन्मदिन बूंद❤️

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11 FEB 2023 AT 22:48

मेरे लिए जंगल रहा है किसी "मंदिर" की तरह...
"मौन" इसकी तपस्या..
कानों में पड़ती वो "हवाओं" की ध्वनि
जैसे किसी घंटी की धुन...
"शीतलता" इस मंदिर की
पवित्रता जैसे...
इसके "प्रवेश द्वार" पर जैसे
हर चिंता, चित्त का त्याग कर दे...
"ठहराव" इस जगह, विश्वास के साथ
समर्पण हो जैसे...
जीव, फूल, प्रकृति निरसता को
समाप्त कर "ऊर्जा" का संचालन
करने वाले चरणामृत हो जैसे...
"चांद", इस मंदिर की खूबसूरत लौ,
जिसमें देखकर भी शीतलता हो महसूस...
"पंछियों" की चहचहाहट जैसे ईश्वर का कीर्तन...
"शांति" आराधना के बाद का प्रसाद...
और "बारिश" जैसे मोक्ष...!
संपूर्णता...!

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8 FEB 2023 AT 20:42

किसी तेज बारिश में मैं, हाथ से तेरे हाथ की लकीर मिलाना चाहूं
फिसलकर छूटने के दौरान शायद पकड़ की मजबूती देखना है मुझे..!

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7 FEB 2023 AT 21:45

ये भींगते हुए गुलाब और उसके बदन पर पड़े छींटे
जैसे तेरे अधरों पर पानी की कुछ बूंदें ठहरी हों..!

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