SATYAM SHUKL   (Satyam's✍️)
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Taken ❤️
Joined 10 January 2018


Taken ❤️
Joined 10 January 2018
30 AUG 2022 AT 17:36

लकीरों पर मेरा नाम लिखकर
वो कभी कभी अपना इश्क जताती है,
उसकी हसीं में हल्की सी बंद होती आंखें
इक समंदर सा बेहिसाब इश्क़ कह जाती हैं;
है ख़बर उसे भी मेरे हाल-ए-दिल का आजकल
रखा करती है खयाल वही मेरे दिल का आजकल,
न जाने क्यूं बन सी गयी है वो आदत मेरी
हर खाब हर ख्वाहिश हर दुआ में है वो आजकल;
इतनी दूरियों में भी उसके इश्क़ की मौजूदगी है
उसके दुवाओं में मै हूं तो वो भी मेरी बंदगी है,
दुनियां के शोर से कहीं दूर उसके हाथों में लेटा हूं
मेरे दिल का सुकूं तो बस उसके इश्क़ की सादगी है।

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18 AUG 2022 AT 0:19

मैं इश्क़ लिखूं
या तुम्हें,
मैं जो भी लिखूं
बस तुम्हें,
मैं कहता हूं
अक्सर तुमसे
पर अगर लिखूं
सिर्फ़ तुम्हें,
फ़ुरसत में मिलना
गर कभी तुम
मिलाता हूं मैं
तुमसे तुम्हें।

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11 AUG 2022 AT 17:07

ऐ ख़ुदा
उनको भी तो ये ख़बर हो
हमें उनसे इश्क़ कितना है,
हम तो उनसे बात कर रहे होते हैं
तब भी उन्ही को याद कर रहे होते हैं।

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10 AUG 2022 AT 11:30

सोचा न था
इक अनजाने शख्स से एक दिन
इक हसीं मुलाक़ात होगी ,
इक अजनबी से रिश्ते से यूं ही
बेपनाह इश्क की शुरुआत होगी;

वक़्त ने दूरियां कम कर दीं
दिलों के धागे अब बंधने लगे थे,
कभी जुबां पर ज़िक्र न आ सका
उस एहसास का पर मुझसे
दिल मेरे जज्बात कहने लगे थे;

कई रातें बिता दी बस ये सोचकर
कैसे करेंगे ज़िक्र अपने बेताब दिल का उनसे,
हर लम्हा जिसे खोजते बस इक बात सुनने को
कैसे कह सकेंगे अपने हालत दिल का उनसे;

ख़ुदा मंजूर करता है दिल की ख्वाहिशें इक दिन
सुनकर मन्नते मेरी उसने कर दिया साजिशें इक दिन,
दिल संभाल कर दिल दिया हमने उनको उस रात को
याद आते हैं वो अब तो हर पल हर घड़ी हर लम्हा हर दिन|

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9 MAY 2022 AT 18:49

तेरे अनजाने शहर से मोहब्बत कर ली मैंने
इक रू-शनास दिल को घर भी ना मिल सका

बड़े शान की होगी तेरी इमारतें इस शहर में पर
तेरे शहर में ही तेरा फ़रमाया शहर भी ना मिल सका

तेरे हिस्से की कहानी घर-वो-दीवारों पर छपी थीं
मेरे दो लफ़्ज़ों के इश्क़ का मुश्तहर भी ना मिल सका

मेरे ग़म भी तो मेरे हक़ में ना थे कभी, वो ज़िन्दगी!
मुर्दों से भरे बाज़ारो में कम्बख़त ज़हर भी ना मिल सका
-Satyam's✍️






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27 APR 2022 AT 16:13

हज़ार दफ़ा भी इश्क़ करने का एक ही तरीका अख़्तियार किया हमने
बनारस! तुझे भी तो पता होगा कि बस तेरे फिज़ाओ से प्यार किया हमने

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19 APR 2022 AT 23:55

कभी कभी रिश्तों के शहर

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15 APR 2022 AT 0:52

कभी लिखूंगा कुछ ग़ज़लें
तुम्हारे भी घाट पर
बनारस! अभी ज़िन्दगी के
कुछ उधार लिख रहा हूँ,

मेरी तंग हालातों पर
तुम यूँ ना मायूस होना
बनारस! अभी तो अटल चिता का
सामान लिख रहा हूँ,

मौत के बाद की ज़िन्दगी
तेरे इश्क़ की साँसें होंगी
बनारस! अभी तो हसीं मौत का
फरमान लिख रहा हूँ,

हर शाम बुझेगी
बस तेरी ही हवाओं में फिर तो
बनारस! उस शाम की खुशबू
हर शाम लिख रहा हूँ . . .

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15 APR 2022 AT 0:29

जहां अपने इश्क़ की आयतें
मैं पूरी कायनात को सुनाता हूँ,
कभी फ़ुरसत मिले गर चांद तुम्हे
आना बनारस, तुम्हे इश्क़ सिखाता हूँ . . .

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5 APR 2022 AT 11:52

आवारगी को इश्क़ कह कर
इश्क़ को बदनाम नही करते,
बहके जज़्बातों के यकीन पर
यूँ सुबह को शाम नही कहते . . .


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