सोचा न था
इक अनजाने शख्स से एक दिन
इक हसीं मुलाक़ात होगी ,
इक अजनबी से रिश्ते से यूं ही
बेपनाह इश्क की शुरुआत होगी;
वक़्त ने दूरियां कम कर दीं
दिलों के धागे अब बंधने लगे थे,
कभी जुबां पर ज़िक्र न आ सका
उस एहसास का पर मुझसे
दिल मेरे जज्बात कहने लगे थे;
कई रातें बिता दी बस ये सोचकर
कैसे करेंगे ज़िक्र अपने बेताब दिल का उनसे,
हर लम्हा जिसे खोजते बस इक बात सुनने को
कैसे कह सकेंगे अपने हालत दिल का उनसे;
ख़ुदा मंजूर करता है दिल की ख्वाहिशें इक दिन
सुनकर मन्नते मेरी उसने कर दिया साजिशें इक दिन,
दिल संभाल कर दिल दिया हमने उनको उस रात को
याद आते हैं वो अब तो हर पल हर घड़ी हर लम्हा हर दिन|
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