15 APR 2018 AT 5:16

थोड़ा उन्मुक्त हूँ मै और मुझे आज़ाद ही रहने दो ,
इस सहर की गलियों में मेरी अवाज़ रहने दो ।
मौन हो जाते हैं लोग सियासत के सफ़र में ,
मै इन्शान हूँ और मुझे इन्शान ही रहने दो ......

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