थोड़ा उन्मुक्त हूँ मै और मुझे आज़ाद ही रहने दो ,इस सहर की गलियों में मेरी अवाज़ रहने दो ।मौन हो जाते हैं लोग सियासत के सफ़र में ,मै इन्शान हूँ और मुझे इन्शान ही रहने दो ...... -
थोड़ा उन्मुक्त हूँ मै और मुझे आज़ाद ही रहने दो ,इस सहर की गलियों में मेरी अवाज़ रहने दो ।मौन हो जाते हैं लोग सियासत के सफ़र में ,मै इन्शान हूँ और मुझे इन्शान ही रहने दो ......
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