मै छोटा सा हूँ एक छोटे शहर का,
बड़े लोगों की महफिल बेगानी सी लगती है।
खामियों को अपने मिटाने की कोशिश,
देखते-देखते खाइयों सी लगती हैं।।
बड़े छोटे देखे हैं मैने बड़े-बड़े लोगों को,
छोटे-छोटे लोगों में मुझे बड़प्पन दिखती है।।
ये असर्फ़ी,ये मोहरें ,मिनारों का क्या है,
ये गाड़ी ,ये दौलत ,दिवारों का क्या है।
बस इज्जत की प्यासी है दिलों की मोहब्बत,
दो दिलों के रिस्तों में दिखावे का क्या है।।
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