sarita gupta   (sarita gupta ghrghoda)
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Joined 29 June 2021


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16 AUG 2022 AT 8:31

भोर की नई सुबह सुहानी,
उम्मीद की दुनिया खुद में समेटे.
फूट पड़ी है, नई कोपल के साथ.
आशाओं भरी इस सुंदर दुनिया में.

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14 AUG 2022 AT 12:43

मेरी ख्वाहिश हो तुम
सांसों की फरमाईश हो तुम.
सुना है चांद फलक में
और धरती पर तुम आकर
धरती को गुलिस्ताँ करती,
सावन की बारिश हो तुम.

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8 MAR 2022 AT 23:31

" अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस "

" नारी "

तृण से नीड़ बनाती, कपड़ों की सिलवटों के साथ.
रात की नींद में भी,
भोर के सपने लिए.
वह उठती है, गुनती है.
नयी उम्मीदों की, नयी चादर बुनती है.
खुले आसमान में,
पंख पसारने को तैयार वह,,,,,,.

श्रीमती सरिता गुप्ता " आरजू " घरघोड़ा रायगढ़ छत्तीसगढ़.

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14 FEB 2022 AT 14:42

तेरा साथ

जैसे अनंत.
जैसे आसमां और धरती, जैसे सूरज और रोशनी,,,,. जैसे चांद और चांदनी, जैसे बदन में सांसो का साथ, जैसे फिजा की शीतल हवा, जैसे फूलों की रंगत, जैसे आंखों में नूर,
जैसे हम तुम,,,,.

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14 FEB 2022 AT 14:27

प्रेम मोहताज नहीं दिखावे की,,,,,
,,,, यह रूहानी है.

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5 FEB 2022 AT 14:19

"बसंत पंचमी"

"माघ शुक्ल की पंचमी
संग बासंती बयार.
शुभ मंगल प्राकट्य रूप,
माँ शारदे! देती तार"

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26 JAN 2022 AT 20:03

मेरे सपनों का भारत-73 वां गणतंत्र पर्व

हिंद की गर्वित धरा, धानी चुनर पुलकित धरा.
बलिदानियों की वीरता के, रक्त से सिंचित धरा.
उठ वीर जागो! लुट न पाये, भारत की यह पोषित धरा.

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20 JAN 2022 AT 18:16

"अमर शहीद विप्लव"
आंखों का वह नूर, सदा - सदा रहेगा.
धरती ,अंबर , पर्वत, बादल
संग जहाँ में, व्याप्त रहेगा.
बलिदान व्यर्थ जायेगा नहीं, कह रही है वसुधा.
पग-पग, कण- कण में, अमर सदा इतिहास रहेगा.
गूंजता रहे यशगान सदा, शहादत को है नमन.
लाल ने लाल संग, बलिदान किया लहू,थीं भार्या भी संग.
अद्भुत तेरे शौर्य की गाथा, जन-जन गायेगा.
विप्लव को छूकर दुश्मन, न बच पायेगा.
गर्व तिरंगे में लिपटे, अमर है तेरी शहादत.
भीरू क्या बलिदान करेंगे? जिनसे भारत माँ हुई आहत.
एक झलक लाल का पाने, उमड़ पड़े थे जन-जन.
आसमान भी रोया था, धरा का तृण-तृण था नम.
मेरे लाल! संग परिवार, आज तू विदा ले रहा.
"धन्य-धन्य है लाल मेरे" कह, केलो महतारी सिसक उठी है.
जय हो! जय हो! मेरे बेटे, जयकारा यह गूंज उठी है.

मेरी कलम✒से- श्रीमती सरिता गुप्ता "आरजू" घरघोड़ा रायगढ़ छत्तीसगढ़.

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12 JAN 2022 AT 15:33

युवाओं के नाम संदेश


धमनियों में खून का, उबाल जिसमें हो भरा.
हो हृदय विशाल, आसमान सा जो थामकर.
है राष्ट्र का युवा वही,है राष्ट्र का युवा वही.
चीर कर चट्टान को, पथ प्रशस्त जो करे.
आंधी और तूफान का रूख भी वह मोड़ता
है राष्ट्र का युवा वही.है राष्ट्र का युवा वही
जननी जन्म भूमि की, माटी की कसम लिए,
पथरीली राह पर, प्रकाश और सुमन लिए
पथ प्रशस्त जो करे.है राष्ट्र का युवा वही
है राष्ट्र का युवा वही. जोश में भी होश हो.
लेशमात्र न भयभीत हो.जीवन डगर से प्रीत हो.
चाहे हार हो या जीत हो.है राष्ट्र का युवा वही
है राष्ट्र का युवा वही.

सरिता गुप्ता "आरजू "घरघोड़ा रायगढ़ छत्तीसगढ़.

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10 JAN 2022 AT 23:51

हिंद के संदर्भ में,
हिंदी में पद गुनगुनाकर
मधुमय बोल लेना तुम.
हृदय के बंद दरवाजे के
पट को खोल लेना तुम.!!
निज अक्श को पहचान कर,
निज भाव अंतर डालकर.
हो राष्ट्र की गरिमा अखंडित,
यह ठान लेना तुम.
न बाधा इस डगर में हो कभी,
राहें न कभी कंकीर्ण हों
शब्दों को अपने भावों से,
श्रृंगार करना तुम.
कि मधुमय बोल लेना तुम.
हिंद के मस्तक में शोभित,
गर्व के इस ताज का,
हिन्दी की बिंदी लगा
गुणगान करना तुम.
हिन्द के इस ताज पर,
अभिमान करना तुम .
हिंद के संदर्भ में,
हिंदी में पद गुनगुनाकर
मधुमय बोल लेना तुम.
हृदय के बंद दरवाजे ,
के पट को, खोल लेना तुम.

- सरिता गुप्ता "आरजू" घरघोड़ा रायगढ़ छत्तीसगढ

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