Sarita   (Sarita)
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Joined 23 January 2019


Joined 23 January 2019
23 JUL 2023 AT 0:16

प्रतिपल सोचता मन मेरा
घनघोर बरसते पानी मे
क्या जला होगा चूल्हा वहाँ
जो हुआ घरोंदा पानी पानी में

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3 NOV 2022 AT 22:46

संघर्षों के गलियारों में
जिंदगी जब होती लाचार
तपिश में तप सोना जैसे
पाती कुंदन सा निखार
कराती अनुभूति हजार
एक कविता मेरी भी ।

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3 NOV 2022 AT 1:34

जिंदगी थक जाती है
हार कर रोती है
अन्तस मे वेदना
जब सिसकी भरती है

आँसु भरी आँखे
चारो ओर देखती है
नियती का खेल देख
खुद से सवाल करती है

मेरी व्यथा से अन्तर
यहाँ किसे पडता है
दिनकर भी है निकला
चंदा की चाँदनी वही है

पेड़ पत्तों की आहट
भँवरे गुंजार कही है
साथ पक्षी करते गान
शीतल पवन बही है

करुण हृदय की पीड़ा
जब जहर सी लगती है
केवल सांसे चलती हैं
देह का बोझ ढोती हैं
सरिता

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26 OCT 2022 AT 20:31

मन मेरा अशांत प्रिये
ठाव ढूँढे चहुँ ओर
चल रहा द्वन्द अन्तर
मिलें न कही छोर

गहन अन्धकार ने घेरा
हृदय छिन्न है सारा
शील,ज्ञान,मान लिये थी
आज वही थक हारा

निस्तेज हुवे प्राण
तन मन आघात हुआ
था कल्पना के परे
आज वही घात हुआ

आँखो से न गिरे
एक बुन्द, शर्त यही है
कंठ रुका जा रहा है
आह....जहर यही है

- सरिता 🖋





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15 JUL 2020 AT 14:45

समर्पित रहे बारिश की
बुन्दो की तरह
आसमाँन में पहुचकर भी
जमीन पर गिरती है ....

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14 JUL 2020 AT 23:57

आँसु भी हस देते है
मुस्कुराहट रो पडती है
इक मुट्ठी यादें रह जाती है
जब याद तेरी आती है

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14 JUL 2020 AT 23:27

सांसों पर पहरा लगा है
जीवन अब आसान कहाँ है
बंदिशो से न मुँह मोड़
है क्षण मुश्किल
जरा संभल राही संभल ......

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13 JUL 2020 AT 23:02

मेरे हिस्से का चाँद अधुरा ही सही
मुझे
मुकम्मल जीना सिखा गया

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12 JUL 2020 AT 2:02

घन घोर घटा बरसे आँगन में
प्रेम सुधा बरसे कण कण में
पावस घन झुमे ,गाए मल्हार
रिमझिम बरसे सावन फुहार



( 👇 Caption में पढे )

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11 JUL 2020 AT 15:37

वो एक आवाज कही खो गई
आवाजो के जंगल में .....

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