आँखे जो बरस जायें किसी और के दुःख में हाथ जो संभाल लें किसी गिरते को ठोकर से दिल जो पिघल जाये किसी रोते की सिसकी से जीने को तो सब जीते हैं पर सिर्फ़ ख़ुद के लिये क्या जीना इंसान वही सच्चा जो काम आये इंसानों के - Sarika Saxena
आँखे जो बरस जायें किसी और के दुःख में हाथ जो संभाल लें किसी गिरते को ठोकर से दिल जो पिघल जाये किसी रोते की सिसकी से जीने को तो सब जीते हैं पर सिर्फ़ ख़ुद के लिये क्या जीना इंसान वही सच्चा जो काम आये इंसानों के
- Sarika Saxena